जब घायल हुआ दिल तेरे नैनों के तीर से
फिर क्यों दी चोट हमें तेरे शब्दों के तीर ने
तिल तिल कर तड़पते रहे सदा ज़िंदगी भर हम
छटपटाते रहे मीन से नदिया के तीर पे
रेखा जोशी
फिर क्यों दी चोट हमें तेरे शब्दों के तीर ने
तिल तिल कर तड़पते रहे सदा ज़िंदगी भर हम
छटपटाते रहे मीन से नदिया के तीर पे
रेखा जोशी
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