Monday 10 August 2015

तिल तिल कर तड़पते रहे सदा ज़िंदगी भर हम

जब  घायल हुआ दिल तेरे नैनों  के तीर से
फिर क्यों दी चोट हमें  तेरे शब्दों के तीर ने
तिल तिल कर तड़पते रहे सदा ज़िंदगी भर हम
छटपटाते  रहे  मीन  से  नदिया  के तीर  पे

रेखा जोशी

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