Tuesday, 4 August 2015
ज़िंदगी कहीं यूँही न तमाम हो जाये
आओ आज इक प्यार का जाम हो जाये
इससे पहले जीवन की शाम हो जाये
जी ले आज हम ज़िंदगी के हसीन लम्हे
ज़िंदगी कहीं यूँही न तमाम हो जाये
रेखा जोशी
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