Sunday 2 August 2015

है ज़िंदगी इक बनी पहेली

सदा उलझन में रही अकेली
मिले   कोई न संगी   सहेली
नहीं सुलझती मेरी मुश्किलें
है   ज़िंदगी  इक बनी  पहेली

रेखा जोशी

No comments:

Post a Comment