Saturday, 1 August 2015

रूठा यार मनाऊँ मै

अपने राँझे  की हीर मै
रूठा  यार मनाऊँ मै
बलिहारी जाऊँ  मै  उस पे
वारी जाऊँ   मै  उस पे
.
सहती गर्म लू के थपेड़े
तपती दोपहरी आई खेत मै
करने  बाते राँझे  से दो चार
लेकर रोटी बाजरे की लोटा भर छाछ
साथ लिये ढेर सा प्यार
पोंछ पसीना पेशानी से उसके
रूठा  यार मनाऊँ मै
बलिहारी जाऊँ  मै  उस पे
वारी जाऊँ   मै  उस पे
.
राँझा क्या रूठा
रूठा है अब रब मुझसे
चैन न पाऊँ पल भर भी मै
दिल की बाते  रही दिल में ही
कैसे उसे बताऊँ मै
रूठा  यार मनाऊँ मै
बलिहारी जाऊँ  मै  उस पे
वारी जाऊँ   मै  उस पे

रेखा जोशी

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