अपने राँझे की हीर मै
रूठा यार मनाऊँ मै
बलिहारी जाऊँ मै उस पे
वारी जाऊँ मै उस पे
.
सहती गर्म लू के थपेड़े
तपती दोपहरी आई खेत मै
करने बाते राँझे से दो चार
लेकर रोटी बाजरे की लोटा भर छाछ
साथ लिये ढेर सा प्यार
पोंछ पसीना पेशानी से उसके
रूठा यार मनाऊँ मै
बलिहारी जाऊँ मै उस पे
वारी जाऊँ मै उस पे
.
राँझा क्या रूठा
रूठा है अब रब मुझसे
चैन न पाऊँ पल भर भी मै
दिल की बाते रही दिल में ही
कैसे उसे बताऊँ मै
रूठा यार मनाऊँ मै
बलिहारी जाऊँ मै उस पे
वारी जाऊँ मै उस पे
रेखा जोशी
रूठा यार मनाऊँ मै
बलिहारी जाऊँ मै उस पे
वारी जाऊँ मै उस पे
.
सहती गर्म लू के थपेड़े
तपती दोपहरी आई खेत मै
करने बाते राँझे से दो चार
लेकर रोटी बाजरे की लोटा भर छाछ
साथ लिये ढेर सा प्यार
पोंछ पसीना पेशानी से उसके
रूठा यार मनाऊँ मै
बलिहारी जाऊँ मै उस पे
वारी जाऊँ मै उस पे
.
राँझा क्या रूठा
रूठा है अब रब मुझसे
चैन न पाऊँ पल भर भी मै
दिल की बाते रही दिल में ही
कैसे उसे बताऊँ मै
रूठा यार मनाऊँ मै
बलिहारी जाऊँ मै उस पे
वारी जाऊँ मै उस पे
रेखा जोशी
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