है छुपी ज़िंदगी
मेरी
घने कोहरे में
नही दिखाई देता
आर पार
उसके
मालूम नही
कौन है अपना
कर रहा जो इंतज़ार
मेरा
नैन बिछाये राहों में
मेरी
है साकार वो
कल्पनाओं में
मेरी
ढूँढ रही उसे आँखे
मेरी
धुंध के उस पार
रेखा जोशी
मेरी
घने कोहरे में
नही दिखाई देता
आर पार
उसके
मालूम नही
कौन है अपना
कर रहा जो इंतज़ार
मेरा
नैन बिछाये राहों में
मेरी
है साकार वो
कल्पनाओं में
मेरी
ढूँढ रही उसे आँखे
मेरी
धुंध के उस पार
रेखा जोशी
No comments:
Post a Comment