Saturday 30 April 2016

साथ रहना तुम कभी मत छोड़ना जानम आज


अब सिमटते है उजाले थाम कर आँचल  आज
फिर सुबह आती नई खुशियाँ लिये दामन आज
………………
देख तेरे नैन हम उसमे समा कर रह गये
बाँध कर तुमने हमें क्यों कर रखा साजन आज 
………………
तुम हमे क्यों कर सताते हो सदा यूँ ही सनम
छोड़ कर गर चल दिये आये न हम  बालम आज
………………
रात के साये हमें रह रह डराते है सनम
साथ रहना  तुम कभी मत छोड़ना जानम आज
…………… …
रात फिर से  डूब जाये गी अँधेरे में सनम
चाह जीवन में उजालों की हमे प्रियतम आज

रेखा जोशी


Friday 29 April 2016

दिया है ज़िंदगी ने प्यार ही प्यार

दिया  है हाथ  तेरे  हाथ  अब आज 
रहे  चल ज़िंदगी के साथ अब आज 
दिया  है  ज़िंदगी ने  प्यार ही प्यार 
रक्षा करना सदा हे नाथ अब  आज 

रेखा जोशी 



Thursday 28 April 2016

दिल में प्रीत वह अपने छुपा कर

नयनों में लौ दिये की जला कर
पथ में पिया के पलके बिछा कर
निहार रही वह राह प्रियतम की
दिल में प्रीत वह अपने छुपा कर

रेखा जोशी

उसका हर अंदाज़ लुभाने वाला था


साजन  मेरे अँगना आने वाला था
उसका हर अंदाज़ लुभाने वाला था 
 
है रह रह कर तेरी यादों ने मारा 
साथी तेरा प्यार सताने  वाला था 


धोखा खाया हमने तुम को दिल दे कर  
मेरे दिल का दर्द  बढ़ाने वाला था 

दिल लूटा तुमने अपनी बातो से जब 
बातों से  संसार  बनाने  वाला था 

माना तुम प्यार हमें करते हो साजन  
आँखों से अब नीर बहाने वाला था 

रेखा जोशी 

Wednesday 27 April 2016

दो जिस्म मगर हैं इक जान हम तुम

दो जिस्म मगर हैं इक जान हम तुम
कैसे   रह   पायें  अनजान   हम  तुम
आओ   करते   मिल  प्यार की  बाते
है  इक  दूजे  की  पहचान   हम  तुम

रेखा जोशी 

तुम जो मिल गये हमें संसार मिला

खिल उठी बगिया संग बहारे लिये
गाने  लगी  फिज़ायें  नज़ारे  लिये
तुम जो मिल गये हमें संसार मिला
नयन  बिछाये  बैठे  तुम्हारे  लिये

रेखा जोशी

सागर किश्ती पर दूर किनारा

सागर  किश्ती  पर दूर किनारा 
है विश्वास प्रभु  तुम पर हमारा
हो   जायेगी   यह     नैया पार 
मिल   जाये   तेरा  गर   सहारा 

रेखा जोशी 

Tuesday 26 April 2016

रंगीन तितलियाँ चाहतों की

दो  दिन की ज़िंदगी  मेहमान
मचल  रहे    सीने में अरमान
रंगीन  तितलियाँ  चाहतों की
उड़ती   पँख लगाये आसमान

रेखा जोशी 

चलो करें सहयोग इक दूसरे का हम

आओ हाथ बढा कर हम करे सब काम
अच्छा होता करने से मिल कर अंजाम 
चलो   करें सहयोग  इक दूसरे  का हम
जहाँ  हो मेल   मिलाप है  वहाँ पर राम

रेखा जोशी 

Monday 25 April 2016

नमन नमन नमन

चलती फिरती
 ज़िंदगी की भीड़ में
खामोश
हो गई इक ज़िंदगी
मौत  की चादर ओढ़े
माटी में
मिलने को तैयार
तोड़ सब
रिश्ते नाते अपने
बंधन  मुक्त
छोड़ गई अपने पीछे
रोते  बिलखते
स्वजन
उजड़ी किसी मांग
उठा किसी के  सर से
उसके पिता का साया
भाई बन्धु देखते रहे
जलती अग्नि में
स्वाहा होती काया
अश्रु अविरल बहते रहे
क्या यही है मोह माया
है साँसों का खेल यह सब
साँस रुकी तो  सब खत्म
जाना  सबको इस जहाँ से
फिर  दुखी क्यों होता मन
जाने वाले को करो नमन
नमन नमन नमन

रेखा जोशी





रंग बिरंगे बाग़ में मुस्कुराते फूल

रंग   बिरंगे    बाग़    में  मुस्कुराते   फूल
शीतल  पवन  संग  संग  लहलहाते  फूल
महकने  दो सुन्दर कलिका को उपवन में
कलियों के महकने  से खिलखिलाते फूल

रेखा जोशी 

Sunday 24 April 2016

दर्द के लम्हों में बी त जातेहै पल


देखते ही तुम्हे महक जाते है पल
बातों बातों में बीत  जाते है पल

तुम  ना  आये तेरी यादें है पास
तेरी  यादों में बीत  जाते है पल

गा रहे गीत बीते हुए मधुर क्षण
मनहर  गीतों में  बीत जाते है पल

दुख ही दुख तो मिले है प्यार में हमें
दर्द  के लम्हों  में बीत जातेहै पल

भटकते रहते है  उन्ही क्षणों में हम
महकते क्षणों  में बीत  जातें है पल

रेखा जोशी 

Friday 22 April 2016

कर्मों का हिसाब यहाँ सभी ने चुकाना

झूठे  हो तुम  मत  बातों से बहलाना
है आया नहीं  ज़िंदगी  तुम्हें निभाना
ज़िंदगी जीना यहॉं  नहीं  कोई  खेल
कर्मों का हिसाब यहाँ सभी ने चुकाना

रेखा जोशी

पृथ्वी दिवस पर



पृथ्वी दिवस पर 

प्रकृति का संगीत है पर्यावरण
वनसम्पदा का प्रतीक पर्यावरण 
..
कोयल की कूक,पंछी की चहक,
फूलो की महक,झरनों की छलक 
...
है प्रदूष्ण ने फैलाया है जाल ,
लिपटी धरा उसमें है आज
...
बचाना है धरती का आवरण 
कटे पेड़ों से बिगड़ा आकार 
.....
चहुँ ओर फैला है हाहाकार
टूटें तार ,सूना है पर्यावरण 
...
आओ मिल लगायें नये पेड़ पौधे 
सूनी धरा में खुशियाँ नई बो दे 

रेखा जोशी 


Thursday 21 April 2016

साथ रहना तुम कभी मत छोड़ना साजन इधर

जब  सिमटते है उजाले रात में साजन इधर 
फिर सुबह लाती नई खुशियाँ यहाँ साजन इधर 

देख तेरे नैन हम उसमे समा कर रह गये
बाँध कर तुमने हमें क्यों अब  रखा साजन इधर 

तुम हमे क्यों कर सताते हो सदा यूँ ही सनम
छोड़ कर गर चल दिये आना  वहाँ साजन इधर 
………………
रात के साये हमें रह रह डराते है सनम
साथ रहना तुम कभी मत छोड़ना साजन इधर 
…………… …
रात फिर से  डूब जाये गी अँधेरे में सनम
साथ जीवन में अँधेरों का मिला साजन इधर 

रेखा जोशी

Wednesday 20 April 2016

ज़िंदगी हमारी हमसे खवा हो गई

ज़िंदगी  हमारी   हमसे  खवा   हो गई
किस कसूर की हमें आज सज़ा हो गई
क्यों   रूठे  रूठे  हो  तुम साजन हमसे
ऐसी  हमसे आखिर क्या खता हो  गई



रेखा जोशी


Tuesday 19 April 2016

हिम्मत नहीं हारे भारत की नारियाँ

 निश्चय  में  दृढ़  ये  भारत की नारियाँ
पीछे   नहीं    है   ये  भारत   की नारियाँ
कर सकती ज़िंदगी  में वह हर काम  को
हिम्मत  नहीं   हारे  भारत  की  नारियाँ

रेखा जोशी

मेरी हर सांस मे समा़ये हो तुम

मेरी हर सांस मे समा़ये हो तुम 
दिल की हर धडकन मे समाये हो तुम
रात दिन देखती हूँ मै ख्वाब तेरे 
जिघर भी देखती हूँ छाये हो तुम

रेखा जोशी

रंगीन छटा बिखेरे शीतल चले बयार

है सुमन पर  भँवरा डोले   चहुँ  ओर   बहार
रंगीन  छटा    बिखेरे    शीतल  चले  बयार
उत्सव मनाती तितलियाँ मस्त  रही इतरा 
उपवन  में  फूल  खिलते महक  उठा संसार   

रेखा जोशी 

Tuesday 12 April 2016

जोत जले मैया दिन रात

मिली जहाँ  से  हमें विरक्ति 
जगदम्बे  माँ से मिले शक्ति 
जोत  जले   मैया  दिन  रात 
पायें   वरदान   करें   भक्ति 

रेखा जोशी 

हाइकू


हाइकू [जल पर ]

भीषण गर्मी
है  सहारा जल का
प्यास बुझती
...
जल  जीवन
चिलचिलाती धूप
आता सावन
....
शीतल जल
बहती तरंगिणी
ठंडक मिले
......
बगिया प्यासी
सुमन मुरझाये
जल की आस
....
सूखी अवनी
बरसता अँगार
अमृत पानी
.....

 रेखा  जोशी





Monday 11 April 2016

रूठा यार अपना मनाने चला हूँ

आसमाँ  में  तारे   सजाने  चला  हूँ
बगिया अपनी मै  महकाने चला हूँ
सूनी  है  ज़िंदगी  बिन तेरे प्रियतम
रूठा  यार  अपना   मनाने  चला हूँ

रेखा जोशी 

लगे आज यादों के दीप जगमगाने

बगिया   में  फूल लगे गीत गुनगुनाने 
लगी फिर दिल में आज प्रीत मुस्कुराने 
याद   आई   कहानी    हमारी  तुम्हारी 
लगे  आज  यादों   के  दीप  जगमगाने 

 रेखा जोशी 

Sunday 10 April 2016

है लगी आग कहीं पर गोलियाँ चल रही कहीं


छाया   आतँक  का साया  यहाँ  वहाँ  दुनिया  में
बिगड़ चुका देख अब चाल चलन यहाँ दुनिया में
है लगी  आग  कहीं  पर  गोलियाँ  चल रही कहीं
जूझ  रहा  देश  इस  दलदल में  धँसा  दुनिया  में

धसना

जब नाम रोशन होगा तेरा

संग संग तेरे
मेरी माँ
रात भर मै सोई नहीं
तकिए पे गिरते आँसू तेरे
भिगो गये  तन मन मेरा
अपनों के ताने सुन सुन
ज़ख़्मी हुआ
आज हम दोनों का मन
मत सुन उनकी आवाज़
मार मुझे कोख में अपनी
मत देना खुद को सज़ा
सुन पुकार तू
धड़कन की मेरी
हूँ बंधी मै
तेरे प्यार की डोर से
कोख तेरी से
गोद  तेरी में
आने को मचल रही मै
नहीं चाहती मरना मै
देख लेना
आते ही संसार में मेरे
महक उठेगा अँगना तेरा
गर्व होगा मुझ पर तुम्हे
जब नाम रोशन होगा तेरा
जब नाम रोशन  होगा तेरा

रेखा जोशी

Saturday 9 April 2016

माटी माथे पर लगा ,यह माटी अनमोल

माता हमें  बुला रही ,नैनो में भर नीर 
दुश्मन घर में घुस गये  ,हरने को है चीर 
.....
सीमा पर प्रहरी खड़े ,देश से करें प्यार 
मान तिरंगे का  रखें  , दे प्राणों को  वार 
.... 
माटी माथे पर लगा ,यह माटी अनमोल 
है बीता बचपन यहाँ ,प्यारे उसके बोल 

रेखा जोशी 

हिंदू नव संवत्सर की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें

सभी मित्रों को हिंदू नव संवत्सर की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें
जय जय जय हे जगदम्बे माँ
आये दर तेरे अम्बे माँ
पूर्ण हो कामनायें सबकी 
झोलीयाँ भरे जगदम्बे माँ
सभी मित्रों को ''नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएँ
रेखा जोशी

जय भवानी

जय भवानी
जगत जननी माँ
सिंह  सवारी
..........
कन्या पूजन
पहाड़ा वाली माता
दुर्गा अष्टमी
.........
रेखा जोशी

Friday 8 April 2016

सहारे बनो तुम हमारे सजन


बिना प्यार फीकी  बहारें सजन 
न   जाओ यहाँ से पुकारे सजन 
बहुत प्यार में रो चुके हम पिया  
सहारे  बनो  तुम  हमारे  सजन 

रेखा जोशी 

Thursday 7 April 2016

सदा आसमाँ अब खुला चाहता हूँ

सदा  प्यार का मै जहाँ चाहता हूँ
कहाँ  पास नफरत यहाँ चाहता हूँ

नही  चाहिये चाँद  तारे  मुझे सब
सदा आसमाँ अब खुला  चाहता हूँ

न दामन उड़ाओ यहाँ पर हवाओ
ख़ुशी की लहर अब यहाँ  चाहता हूँ
....
चलो आज दोनों चलें दूर सबसे
घरौंदा बनाना वहाँ चाहता हूँ

न चाहा सजन प्यार हमने कभी
यहाँ  साथ तेरा सदा  चाहता हूँ

रेखा जोशी 

Tuesday 5 April 2016

तुम क्या गये ज़िंदगी के सहारे खो गये


तेरे  जाने  बाद  चाँद  सितारे  खो  गये
कुदरत  के  सारे हसीन  नज़ारे खो गये
अँधेरी अनजानी  राह  में भटक रहे हम
तुम क्या गये ज़िंदगी के सहारे खो गये

 रेखा जोशी 

किस्मत ने दिये हमें जब गम ही गम

टूटे  दिल का अब  हम मलाल क्यों करें
बीते दिनों का अब हम ख्याल क्यों करें
किस्मत ने दिये हमें जब   गम ही गम 
बेवजह  ज़िंदगी  पर सवाल   क्यों  करें

रेखा जोशी

अपने देश का मान सम्मान रखने को तैयार है

जननी जन्मभूमि पर वह मर मिटने को तैयार है 
भारत माता  की   खातिर सर कटने को  तैयार है 
परिवार  अपने   से मीलों  दूर  तैनात  सीमा  पर 
अपने  देश  का मान  सम्मान रखने को तैयार है 

रेखा जोशी 

Monday 4 April 2016

सहारे ज़िंदगी के तुम

विजात छन्द
मूल छन्द 

हमारे पास तुम  होते 
तुम्हारे पास हम होते 
रहें फिरसाथ हम तुम 
सहारे ज़िंदगी के तुम  
मुक्तक

हमारे पास तुम  होते 
तुम्हारे पास हम होते 
रहें फिर साथ हम तुम 
सहारे काश तुम  होते 

रेखा जोशी 



प्रकृति का संगीत है पर्यावरण

प्रकृति का संगीत है पर्यावरण 
वनसम्पदा का प्रतीक पर्यावरण 
..
कोयल की कूक,पंछी की चहक
फूलो की महक,झरनों की छलक 
रंगीं धरती का गीत है पर्यावरण 
..
प्रदूष्ण ने फैलाया है जाल 
लिपटी धरा उसमें है आज 
बचाना है धरती का आवरण 
.. 
कटे पेड़ों से बिगड़ा आकार 
चहुँ ओर फैला है हाहाकार 
टूटें तार ,सूना है पर्यावरण 
.. 
आओ मिल लगायें नये पेड़ पौधे 
सूनी धरा में खुशियाँ नई बो दे 
नये स्वर बनायें  रंगीं पर्यावरण 

रेखा जोशी 

Sunday 3 April 2016

डील डौल तो भीमकाय सा

खाओ हरी सब्जियां व्  फल
संतुलित खाना बचाये  कल
डील  डौल  तो  भीमकाय सा
पर रहे अक्ल से  तो   पैदल

रेखा जोशी 

भीगी पलकें अपनी जिसमें छिपाया प्यार है

ढूँढे  तुम्हे   पागल  नैना न   पाया  करार   है 
खोये    खोये  से   रहते  जियरा    बेकरार  है 
मिलो या न मिलो साजन ज़िंदगी में हमें कभी
भीगी  पलकें अपनी  जिसमें  छिपाया प्यार है 

रेखा जोशी 




Saturday 2 April 2016

हिंदी ब्लागिंग

अंग्रेजी में स्नातक होने पर भी मनु ने हिंदी में लिखना शुरू कर दिया ,वह इसलिए कि हिंदी हमारी अपनी मातृ भाषा हैऔर  हम अपने विचारों को बहुत ही सुगमता से अभिव्यक्त कर सकते है ,यह विचार ही हैं जो समाज को प्रभावित कर उसे एक नई  दिशा दे सकते है| 


 हिंदी भाषा ही एक ऐसी भाषा है जो भारतवासियों  को आपस  में जोड़ सकती है ।अपने  विचारों को मनु हिंदी में समसमायिक विषयों पर ब्लॉग लिख  कर इंटरनेट से  विभिन्न मंचों  पर पोस्ट करने लगा । जैसा कि हम सब जानते है, आजकल इंटरनेट का जमाना है ,जिसने पूरी दुनिया की दूरियों को नजदीकियों में बदल दिया है । दूर दराज़ बैठे हुए लोगों से क्षण भर में ही संपर्क स्थापित किया जा सकता है ,एक दूसरे के विचारों का आदान प्रदान भी किया जा सकता है ,यही कारण है कि मनु के ब्लॉग'स को केवल भारत में ही नही दुनिया के कई देशों में भी पढ़ा और सराहा जाने लगा है  ,उसकी पोस्ट पर कभी अमरीका से कमेंट्स आते है तो कभी रूस से यां जर्मनी से ,कनाडा ,अबूधाबी,पोलैंड ,स्वीडन सारे के सारे देश सिमट कर  मनु के ब्लाग्स की साईट पर आ गए | उनकी प्रतिक्रियाएं पढ़ कर मनु के चेहरे पर चमक आ जाती है ,हिंदी भाषा में लिखे गए ब्लॉगस को केवल भारत में नही पूरी दुनिया में पसंद किया जा रहा है| इंटरनेट ,फेस बुक,गूगल के इस नव  दौर में हिंदी, भारत के जनमानस की भाषा ,न केवल दुनिया भर में लोकप्रिय हो रही है  बल्कि  दिनोदिन इसका रूप निखर कर आ रहा है |

हिंदी भाषा में लुप्त हो रहा छंद विधा नव परिवर्तनों के आज के इस दौर में फिर से उभर कर आ रही है ,हिंदी साहित्य में रूचि  रखने वाले न केवल इस विद्या के रस का आनंद उठा रहे है बल्कि इसे सीखने का भरसक प्रयास भी कर रहें है |आजकल मनु  जैसे हजारों ,लाखों ब्लागर्स  हिंदी में ब्लागिंग कर रहे है | कई ब्लागर्स  ब्लागिंग से अपनी हाबी के साथ साथ आर्थिक रूप से भी सम्पन्न भी हो रहे है | आज मनु को अपने फैसले पर गर्व है कि उसने बदलते हुए इस नयें दौर में अपने विचारों कि अभिव्यक्ति के लिए हिंदी ब्लागिंग को चुना | इसमें कोई दो राय नही है कि नव परिवर्तनों के इस  दौर में एवं आने वाले समय में हिंदी ब्लागिंग का भविष्य उज्जवल है | 

रेखा जोशी 

वह निभाता साथ हम अंजान है


गीतिका 

प्रेम करले ज़िंदगी वरदान  है 
प्रीत सबसे जो करें इंसान है 
..... 
ज़िंदगी में सुख  मिले दुख भी मिले 
नाम प्रभु का जो जपे वह ज्ञान है 
..... 
दीन दुखियों की यहाँ सेवा  करें 
जान वह   प्रभु की यहाँ संतान है 
....... 
ज़िंदगी की डोर उसके हाथ में 
वह निभाता साथ हम  अंजान है 
.......  
हाथ जोडे हम करें वंदन यहाँ 
मुश्किलें जो  समझता भगवान है 

रेखा जोशी 

Friday 1 April 2016

ताउम्र हम तो उन्ही ज़ख्मों की सहते रहे पीर

रोते   रहे  ज़िंदगी  भर  लिये   नैनों  में  नीर
घायल   करते  रहे   हमें  तेरे  शब्दों  के  तीर
ऐसी  दी   चोट  हमें   तड़पते  रहे  जीवन भर
ताउम्र हम तो उन्ही ज़ख्मों की सहते रहे पीर

रेखा जोशी