रोते रहे ज़िंदगी भर लिये नैनों में नीर
घायल करते रहे हमें तेरे शब्दों के तीर
ऐसी दी चोट हमें तड़पते रहे जीवन भर
ताउम्र हम तो उन्ही ज़ख्मों की सहते रहे पीर
रेखा जोशी
घायल करते रहे हमें तेरे शब्दों के तीर
ऐसी दी चोट हमें तड़पते रहे जीवन भर
ताउम्र हम तो उन्ही ज़ख्मों की सहते रहे पीर
रेखा जोशी
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