जब सिमटते है उजाले रात में साजन इधर
फिर सुबह लाती नई खुशियाँ यहाँ साजन इधर
…
देख तेरे नैन हम उसमे समा कर रह गये
बाँध कर तुमने हमें क्यों अब रखा साजन इधर
…
तुम हमे क्यों कर सताते हो सदा यूँ ही सनम
छोड़ कर गर चल दिये आना वहाँ साजन इधर
………………
रात के साये हमें रह रह डराते है सनम
साथ रहना तुम कभी मत छोड़ना साजन इधर
…………… …
रात फिर से डूब जाये गी अँधेरे में सनम
साथ जीवन में अँधेरों का मिला साजन इधर
रेखा जोशी
फिर सुबह लाती नई खुशियाँ यहाँ साजन इधर
…
देख तेरे नैन हम उसमे समा कर रह गये
बाँध कर तुमने हमें क्यों अब रखा साजन इधर
…
तुम हमे क्यों कर सताते हो सदा यूँ ही सनम
छोड़ कर गर चल दिये आना वहाँ साजन इधर
………………
रात के साये हमें रह रह डराते है सनम
साथ रहना तुम कभी मत छोड़ना साजन इधर
…………… …
रात फिर से डूब जाये गी अँधेरे में सनम
साथ जीवन में अँधेरों का मिला साजन इधर
रेखा जोशी
No comments:
Post a Comment