Thursday, 21 April 2016

साथ रहना तुम कभी मत छोड़ना साजन इधर

जब  सिमटते है उजाले रात में साजन इधर 
फिर सुबह लाती नई खुशियाँ यहाँ साजन इधर 

देख तेरे नैन हम उसमे समा कर रह गये
बाँध कर तुमने हमें क्यों अब  रखा साजन इधर 

तुम हमे क्यों कर सताते हो सदा यूँ ही सनम
छोड़ कर गर चल दिये आना  वहाँ साजन इधर 
………………
रात के साये हमें रह रह डराते है सनम
साथ रहना तुम कभी मत छोड़ना साजन इधर 
…………… …
रात फिर से  डूब जाये गी अँधेरे में सनम
साथ जीवन में अँधेरों का मिला साजन इधर 

रेखा जोशी

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