चलती फिरती
ज़िंदगी की भीड़ में
खामोश
हो गई इक ज़िंदगी
मौत की चादर ओढ़े
माटी में
मिलने को तैयार
तोड़ सब
रिश्ते नाते अपने
बंधन मुक्त
छोड़ गई अपने पीछे
रोते बिलखते
स्वजन
उजड़ी किसी मांग
उठा किसी के सर से
उसके पिता का साया
भाई बन्धु देखते रहे
जलती अग्नि में
स्वाहा होती काया
अश्रु अविरल बहते रहे
क्या यही है मोह माया
है साँसों का खेल यह सब
साँस रुकी तो सब खत्म
जाना सबको इस जहाँ से
फिर दुखी क्यों होता मन
जाने वाले को करो नमन
नमन नमन नमन
रेखा जोशी
ज़िंदगी की भीड़ में
खामोश
हो गई इक ज़िंदगी
मौत की चादर ओढ़े
माटी में
मिलने को तैयार
तोड़ सब
रिश्ते नाते अपने
बंधन मुक्त
छोड़ गई अपने पीछे
रोते बिलखते
स्वजन
उजड़ी किसी मांग
उठा किसी के सर से
उसके पिता का साया
भाई बन्धु देखते रहे
जलती अग्नि में
स्वाहा होती काया
अश्रु अविरल बहते रहे
क्या यही है मोह माया
है साँसों का खेल यह सब
साँस रुकी तो सब खत्म
जाना सबको इस जहाँ से
फिर दुखी क्यों होता मन
जाने वाले को करो नमन
नमन नमन नमन
रेखा जोशी
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