Thursday, 7 April 2016

सदा आसमाँ अब खुला चाहता हूँ

सदा  प्यार का मै जहाँ चाहता हूँ
कहाँ  पास नफरत यहाँ चाहता हूँ

नही  चाहिये चाँद  तारे  मुझे सब
सदा आसमाँ अब खुला  चाहता हूँ

न दामन उड़ाओ यहाँ पर हवाओ
ख़ुशी की लहर अब यहाँ  चाहता हूँ
....
चलो आज दोनों चलें दूर सबसे
घरौंदा बनाना वहाँ चाहता हूँ

न चाहा सजन प्यार हमने कभी
यहाँ  साथ तेरा सदा  चाहता हूँ

रेखा जोशी 

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