Wednesday, 20 April 2016

ज़िंदगी हमारी हमसे खवा हो गई

ज़िंदगी  हमारी   हमसे  खवा   हो गई
किस कसूर की हमें आज सज़ा हो गई
क्यों   रूठे  रूठे  हो  तुम साजन हमसे
ऐसी  हमसे आखिर क्या खता हो  गई



रेखा जोशी


No comments:

Post a Comment