अब सिमटते है उजाले थाम कर आँचल आज
फिर सुबह आती नई खुशियाँ लिये दामन आज
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देख तेरे नैन हम उसमे समा कर रह गये
बाँध कर तुमने हमें क्यों कर रखा साजन आज
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तुम हमे क्यों कर सताते हो सदा यूँ ही सनम
छोड़ कर गर चल दिये आये न हम बालम आज
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रात के साये हमें रह रह डराते है सनम
साथ रहना तुम कभी मत छोड़ना जानम आज
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रात फिर से डूब जाये गी अँधेरे में सनम
चाह जीवन में उजालों की हमे प्रियतम आज
रेखा जोशी
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