Friday 31 July 2015

गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

दीप ज्ञान का 
प्रज्जवलित  कर उसने 
राह दिखाई 
उजाले की 
अर्पित करती हूँ मै
श्रद्धासुमन
अपने गुरुवर को
शत शत नमन  

करती हूँ मै  
अपने गुरुवर को  

रेखा जोशी

पर उपदेश कुशल बहुतेरे

जीवन में
बहुत से जन
ऐसे भी मिल जायेगे
भूले से गर  कुछ पूछो उनसे
प्रवचन देंगे वह अनेक
भीतर से कायर बुज़दिल
देंगे  भाषण वीरता का
कंजूस मक्खीचूस भी
बन जाता बातों में
दानवीर कर्ण
सदाचार पर
दुराचारी भी दे देगा उपदेश
युधिष्ठर जैसे
मिलते  विरले कहानियों में
सत्य ढाला आचरण में
फिर उसका पाठ सुनाया
लेकिन  भरा पड़ा जग सारा
उनसे जिनकी
कथनी करनी में अंतर बहुतेरे
है जो
पर उपदेश कुशल बहुतेरे
जे आचरहिं ते नर न घनेरे

रेखा जोशी 

Thursday 30 July 2015

जश्न मनाती बुराई सोती अच्छाई है

यहां   हँसती   बुराई   रोती  अच्छाई है 
जश्न  मनाती  बुराई  सोती अच्छाई है 
क्या  करें सोते रहे या मनायें हम जश्न 
पर ज़िंदगी में खुशियाँ बोती अच्छाई है 

रेखा जोशी 

Wednesday 29 July 2015

नैना सूनें राह निहारें ,देखूँ पथ कब से तेरा

सावन बरसा आँगन मेंरे , चलती मस्त बयार लिखें 
मिलजुल कर अब रहना सीखें प्यारी इक बौछार लिखें 
....
भीगा  मेरा  तन  मन सारा ,भीगी  मलमल  की चुनरी 
छाये काले बादल नभ पर , बिजुरी अब   उसपार लिखें 

झूला झूलें मिल कर सखियाँ ,पेड़ों पर है हरियाली 
तक धिन नाचें मोरा मनुवा ,है चहुँ ओर बहार  लिखें 
.... 
गरजे बदरा धड़के जियरा ,घर आओ सजना मोरे 
बीता जाये सावन साजन ,अँगना अपने प्यार लिखें 
.... 
नैना सूनें राह निहारें ,देखूँ पथ कब से तेरा 
आजा रे  साँवरिया मेरे ,मिल कर नव संसार लिखें 

रेखा जोशी 

गौरी नंदन करना मंगल

तुम ही भक्तों के रखवारे
हर पल साथ रहते  हमारे 
गौरी  नंदन करना मंगल 
विघ्न  हरते   देते   सहारे 

रेखा जोशी 

भीगा मेरा तन मन सारा ,भीगी मलमल की चुनरी

सावन बरसा अब आँगन में, चलती मस्त बयार लिखें 
मिलजुल कर अब रहना सीखें प्यारी इक बौछार लिखें 
भीगा  मेरा  तन  मन सारा ,भीगी  मलमल  की चुनरी 
छाये काले बादल नभ पर , बिजुरी अब   उसपार लिखें 

रेखा जोशी 

है समझते हम दोनों ये भाषा प्रेम की

लम्बी  गर्दन  वाले  प्यारे दोस्त मेरे
दुनियाँ में सबसे हो न्यारे दोस्त मेरे
है समझते हम दोनों ये भाषा प्रेम की
नेह   से  देख  रही  दुलारे  दोस्त मेरे
रेखा जोशी 

Tuesday 28 July 2015

अपने कर्मों से ही बना मिसाइल मैन

विनम्र श्रद्धांजलि डॉ अब्दुल कलाम जी को 

निश्चय का पक्का करता धमाल था वोह 
ऊर्जा   से   भरा   हुआ   कमाल  था वोह 
अपने  कर्मों  से  ही  बना  मिसाइल मैन 
चला  गया  जो  भारत  का लाल था वोह 

रेखा जोशी 



पा कर भी सनम तुम्हे पा न सके

हाथों    में   तेरे     मेरा    हाथ   रहा
हमारा यह दिल फिर भी  अनाथ रहा
पा  कर  भी  सनम  तुम्हे पा न सके
मिले  तुम   पर   अधूरा   साथ  रहा

रेखा जोशी 

हर दिन हर घड़ी तेरी यादों में ही गुज़ारा करते है

नयन मेरे थामे दिल तेरी राहें निहारा करते है
न जाने क्यों दिल ही में साजन तुम को पुकारा करते है.
कुछ भी करें हम पर बाँवरे दो नैन यह जो है हमारे
हर दिन हर घड़ी तेरी यादों में ही गुज़ारा करते है

रेखा जोशी 



Monday 27 July 2015

बेकसूर हो कर भी रोये हम जीवन भर


मुस्कुरा के सबको हम सजन दिखाते रहे  
दर्द  ऐ  दिल  मुहब्बत  में सजन पाते रहे
बेकसूर  हो  कर भी रोये हम  जीवन  भर  
न  मिलने  के  तुम  सौ  बहाने बनाते रहे 

रेखा जोशी 

Sunday 26 July 2015

मेरी सतरंगी कल्पनायें

उड़ती गगन में
मेरी सतरंगी कल्पनायें
झूलती इंद्रधनुष पे
बहती शीतल पवन सी
ठिठकती कभी पेड़ों के झुरमुट पे
थिरकती कभी अंगना में मेरे
सूरज की रश्मियों से
महकाती  गुलाब गुलशन में मेरे
तितलियों सी झूमती
फूलों की डाल पे
दूर उड़ जाती फिर
लहराती सागर पे
चूमती श्रृंखलाएँ पर्वतों की
बादल सी गरजती कभी
चमकती दामिनी सी
बरसती बरखा सी कभी
बिखर जाती कभी धरा पे
शीतल चाँदनी सी
नित नये सपने संजोती
रस बरसाती जीवन में मेरे
मेरी सतरंगी कल्पनायें

रेखा जोशी 

है ढूँढ़ रहे हम सब यहाँ बस खुशियाँ ही खुशियाँ

थमती नही कभी बस चलती ही जाती जिंदगी
वक्त के सामने तो  बेबस हो जाती  ज़िंदगी
है ढूँढ़ रहे हम सब यहाँ बस खुशियाँ ही खुशियाँ  
सुख  हो या दुःख सब पीछे छोड़ जाती जिंदगी

रेखा जोशी

Saturday 25 July 2015

आवाज़ उठायें रहने की मिलजुल कर

नफरत की आग से तो जलती ज़िंदगी
प्यार नेह से  ही सदा  खिलती ज़िंदगी
आवाज़ उठायें  रहने की मिलजुल कर
प्रेम  की  साँसोँ   से  ही चलती ज़िंदगी

रेखा जोशी 

बहुत ज़ुल्म ढायें है सनम प्यार ने तुम्हारे

नैन  यह  दीदार  को  तरसते  रहे  तुम्हारे
ठोकर  में  रखा सदा  हमे प्यार ने तुम्हारे
कब  तक  सहेंगे  हम तेरी और नादानियाँ
बहुत ज़ुल्म ढायें है सनम प्यार ने तुम्हारे

रेखा जोशी

दगाबाज़ ने छोड़ दिया हमे मंझधार में

क्यों वादे पे तेरे हमने एतबार किया 
हमने तो इस दिल जिगर को तुम पे वार दिया
दगाबाज़ ने छोड़ दिया हमे मंझधार में 
सोचते है क्यों हमने तुमसे प्यार किया

रेखा जोशी

खिली खिली धूप तुम्हारी मुस्कराहट



भोली  भाली सूरत प्यारी  मुस्कुराहट 
खिली खिली धूप तुम्हारी मुस्कराहट 
देखते  रह   गए  हम   सूरत  तुम्हारी 
बसी  आँखों  में   तुम्हारी  मुस्कुराहट 

रेखा जोशी

Friday 24 July 2015

रहना सदा चलते कभी रुकना नहीं

पीछे जीवन में तुम कभी रहना नही
सामने तुम किसी के कभी झुकना नहीं
राह में मिलें चाहे बाधायें अनेक
रहना सदा चलते कभी रुकना नहीं
रेखा जोशी

Thursday 23 July 2015

हर साँस तुम्हे पुकारे चले आइये

छाई    सब    ओर    बहारें   चले   आइये
है     खूबसूरत     नज़ारे      चले   आइये

है बस पल दो पल का सजन जीवन यहाँ
हर   साँस    तुम्हे    पुकारे    चले  आइये

है   मुस्कुरा   कर  जो   देखा  तुमने   हमें
मिट    गई    सभी    दीवारें   चले  आइये

देखिये    ज़रा   मौसम   ने  पुकारा   हमें
समझें   प्यार    के   इशारे   चले   आइये

सुहानी    चांदनी   भी   लगी   शर्माने
साजन  तुम   पास    हमारे  चले  आइये


रेखा जोशी 

किसी के दिल को नहीं बहलाना चाहिये


प्यार की गलियों में दिल लगाना चाहिये
वफ़ा के  रँग को   भी  आज़माना  चाहिये 
रिश्ता मुहब्बत का दिल से  निभाया हमने
किसी के  दिल  को नहीं  बहलाना चाहिये

रेखा जोशी 

Wednesday 22 July 2015

कहते सुनते ही बीत जाये न ज़िंदगी

लाख इलज़ाम हम पर लगा लो तुम मगर 
रिश्ता ए मुहब्ब्त को समझ सको तुम गर 
कहते  सुनते  ही  बीत  जाये  न  ज़िंदगी 
बस इक नज़र तो प्यार से देखो  तुम इधर

रेखा जोशी 

Tuesday 21 July 2015

रंगों की दुनिया लाये खुशियाँ आपकी जिंदगी में[वास्तु टिप्स]

१ नीला याँ बैंगनी रंग शांति का प्रतीक है ,इसे बेड रूम में याँ ध्यान कक्ष में इस्तेमाल करना चाहिए

२ बच्चों के कमरे के लिए हरा रंग शुभ है ,यह रंग उन्नति का प्रतीक है |
३ घर के पूजा रूम के लिए पीला रंग उत्तम माना गया है |
४ घर के अध्ययन कक्ष के लिए भी पीला रंग श्रेष्ठ है |
५ अगर आपका बेड रूम उत्तर दक्षिण दिशा में है तो वहां सफेद रंग करवाना शुभ माना गया है |
६ घर के अंदर की तरफ की छतों पर भी सफेद रंग लगवाना शुभ है

 रेखा जोशी 

तुम हमें मिल गये हर ख़ुशी मिल गई

आप  जब  से  मिले बंदगी  मिल गई
ज़िंदगी की  कसम  ज़िंदगी मिल गई
मांगा   था   साथ   तेरा   हमने    बस
तुम हमें  मिल गये हर ख़ुशी मिल गई

रेखा जोशी 

त्रिवेणी


बंधे है रिश्ते प्रेम नेह के कच्चे धागों से
अनमोल रिश्तों की दुनिया  है  जहाँ में

कराहता दिल जब टूटते स्नेहिल बंधन
.........................
प्रेम से बंधी कान्हा संग गोपियाँ
मधुर बंसी की धुन पर नाचती गोपियाँ

छोड़ गया निर्मोही गोकुल में उन्हें

रेखा जोशी

Monday 20 July 2015

चमके सूरज सा पूत माँ का अरमान

चमके सूरज सा  पूत  माँ का अरमान
भर ले वह ऊँची उड़ान माँ का अरमान
 माता की जान बसी   अपने बच्चों में 
फलता उन्हें  देखना   माँ का अरमान
  रेखा जोशी

जाने अब कहाँ नज़ारे चले गये

जाने  अब  कहाँ   नज़ारे   चले  गये
जीने   के   सभी    सहारे   चले  गये
ढल गया दिन भी और छुप गया चाँद
जाने   सब   कहाँ   सितारे  चले  गये

रेखा जोशी 

मिलने के ढूँढने हम बहाने लगे

मेरे  सपनों  में  क्यों  तुम आने लगे
रह रह कर हमें क्यों तुम सताने लगे
बस गये  होअब मेरी धड़कन में तुम
मिलने  के   ढूँढने   हम  बहाने  लगे

रेखा जोशी 

Sunday 19 July 2015

जोड़ दी धरा गगन से

प्रगति के पथ पर 
कर रहा मानव उत्थान 
बनमानुष से बना इंसान 
कर रहा नित नये आविष्कार 
जोड़  दी
धरा गगन से 
जा पहुंचा चाँद के पार 
रच रहा इतिहास नये 
खोले मंगल के भी द्वार 
उन्नति की उड़ान ने 
मचा दी ब्रह्मांड में हलचल 
सभ्यता नई खोजने 
है रहा मानव मचल 
गर होती रही तरक्की ऐसे 
करेंगे  नाश्ता धरती पर 
और रात्रि भोज मंगल पर 

रेखा जोशी 

Saturday 18 July 2015

लग गये आज ख़्वाबों को मेरे पंख

उड़ने लगा दिल मेरा
हवाओं के संग संग
झूम उठा गगन
बजने लगी पायलिया
छन छनानन
लग गये आज
ख़्वाबों को मेरे पंख
पाती पा कर
अपने सजन की
लगा नाचने मन

रेखा जोशी

राम नाम के जाप से ,जीवन ले संवार

राम नाम के जाप से ,जीवन ले संवार
जप राम का करने से , होती नैया पार
होती नैया पार ,बन जाते बिगड़े काम 
आई तेरे द्वार ,शरण तिहारे हे राम
रेखा जोशी

थे ढूँढ़ते हम रहे शाम ओ सहर उनको


खुद से खुद की आज  हमारी बात हो गई
करते  रहे  सजन   इंतज़ार  रात  हो  गई
थे   ढूँढ़ते  हम  रहे शाम  ओ सहर उनको
पिया  खो गये कहीं  ज़िंदगी मात  हो गई

रेखा जोशी



प्रलय की आंधी

पल भर में यहाँ पर पत्थर बह जाते है
पल भर में यहाँ पर पहाड़ ढह जाते है
प्रलय की आंधी में खत्म हो जाता सब
प्रभु  लीला को देखते  ही  रह जाते है

रेखा जोशी

Friday 17 July 2015

आज पाया सजन प्यार तेरा

दिल कभी तोड़ कर तुम न जाना 
अब कभी छोड़ कर तुम न जाना
आज  पाया  सजन  प्यार  तेरा
मुख कभी मोड़ कर तुम न जाना

रेखा जोशी

वर्ण पिरामिड [सपना ]

है
बसे
सपने
पलकों में
छू लूँ आकाश
मन में विश्वास
होंगे पूरे  सपने
होगी पूरी अब आस

रेखा जोशी


वर्ण पिरामिड [सावन पर ]

ये
बूँदें
बरस
रही अब
आसमान से
भीगा भीगा तन
हर्षित हुआ मन
अब आ जाओ सजन
ढूँढे तुम्हे प्यासे नयन
लागे न कहीं हमारा मन
हे री सखी बरसता सावन

रेखा जोशी


Thursday 16 July 2015

शहीद की चिता पे लिख देंगे नाम अपना

आँच कभी  न आने देंगे अपने  वतन पर
जी जान लुटा मर मिटेंगे अपने वतन पर
शहीद की चिता पे लिख देंगे नाम अपना
मर कर अमर हो जायेंगे अपने वतन पर

रेखा जोशी 

निरीह खड़ा देख रहा न जाने राह किसकी

उमड़ घुमड़
छाई  घटा जब
पड़ती ठंडी फुहार
शीतल पवन थरथराता तन
बरसा सावन रिमझिम रिमझिम
हुई बरसात झमाझम
भीगा सारा घर आँगन
था चहुँ और जलथल जलथल
झूम रहा मस्ती में यौवन
हर्षाया सबका तन  मन
चमक रहे नैन सबके
था उनका आज संसार
देख रहा दूर खड़ा
वेदना से भरा
सूखा  तरुवर कोने से
आया था उस पर भी यौवन
था कभी हरा भरा उसका भी तन
झूमता लहराता
था पवन के झोंको के संग संग
छोड़ गये साथ उसके
वह हरे हरे  पत्ते
आज बूँद बूँद टपक रहा
शाखाओं से उसकी जल
निरीह खड़ा देख रहा
न जाने राह किसकी

रेखा जोशी




आने से उसके सारे जहाँ का प्यार मिल गया

गीतिका 


आई  नन्ही परी  घर में  मुझे  संसार मिल गया 
ईश्वर  का  मुझे   खूबसूरत  उपहार  मिल  गया 
..... 
खुशियों ही खुशियों से अब भर उठा आँगन मेरा 
ज़िंदगी  जीने  का  मुझे यहाँ  आधार मिल गया 
...…
ठुमकती नाचती वह जब  घर अंगना में मेरे 
खुशियों का ज़िंदगी में मुझे अब अम्बार मिल गया 
……
लुभाती  है  मुझे  उसकी प्यारी  सी मुस्कुराहट 
फूलों से महकता हुआ मुझे गुलज़ार मिल गया 
…… 
उमड़ती है ममता जब खेलती गोद में मेरी 
आने से उसके सारे जहाँ का प्यार मिल गया 
…… 

रेखा जोशी 

बहुत रोये सनम तेरे लिये हम यहाँ तन्हा तन्हा


तुझे चाहें सदा साजन यहाँ पर ज़िंदगी में  हम 

न हो हमसे खफा साजन यहाँ पर ज़िंदगी में हम

बहुत रोये सनम तेरे लिये हम यहाँ तन्हा तन्हा 

नही कुछ भी कहा साजन यहाँ पर  ज़िंदगी में हम 

रेखा जोशी 

Wednesday 15 July 2015

रँग खून का हुआ सफेद अब

नहीं महकते रिश्ते आजकल
यहाँ बिखरते रिश्ते आजकल
रँग खून  का हुआ  सफेद अब
धोखा  देते   रिश्ते  आजकल

रेखा जोशी

Tuesday 14 July 2015

अद्धभुत मिलन देखों सूरज चँदा का

है  चूम  रहा   सूरज   छोर  धरा का
रोशन  है  ऊपर   दीप  आसमाँ  का
रश्मियों  से  दोनों  की  जीवन  फले
अद्धभुत मिलन देखों सूरज चँदा का

रेखा जोशी



आँखों से झलकता नेह

धुले सफेद बाल
चेहरे पर झुरियाँ
आँखों से झलकता नेह
है जिस्म से भले लाचार
रखते इरादों में दम
हौंसला उनसे सदा मिले
ज़िंदगी लुटा दी उन्होंने
हम पर
ज़िंदगी के इस मोड़ पर
है  सम्मान के हक़दार
बदकिस्मत है वोह
जो पाते नहीं
उनका प्यार

रेखा जोशी

Monday 13 July 2015

लाडो मेरी


लाडो मेरी ने
दी बिखेर खुशबू
आते ही
अंगना मेरे
महक उठा
घर का
कोना कोना
हुआ आगमन
नन्ही परी का
अंगना मेरे
आज
बिदाई की बेला में
आंसू भरे
नैनों में
दुल्हन बनी
लाडो जा रही
महकाने घर
अपने पिया का
छोड़ यादें अपनी
अंगना मेरे

रेखा जोशी

जब से आये हो तुम

बगिया लगी  महकने जब से आये हो तुम 
हम भी लगे चहकने जब से  आये हो तुम 
छा गई है खुशियाँ ही खुशियाँ सब ओर अब
दिल भी लगा बहकने जब से आये हो तुम

रेखा जोशी 

रिमझिम बरसे काले बादल

हाइकू [सावन ]

बदरा छाये 
उड़ती चुनरिया 
सावन आये
… 
हवा शीतल 
रिमझिम बरसे 
काले बादल 
… 
बरखा आई 
भीगता तन मन 
खुशियाँ लाई 
… 
नाचते मोर 
गुनगुनाती हवा 
मचाती शोर 
… 
उमंग लाये 
गरजते बादल 
जिया धड़के 

रेखा जोशी 

Sunday 12 July 2015

बसी आँखों में तुम्हारी मुस्कुराहट

भोली  भाली सूरत प्यारी  मुस्कुराहट 
खिली खिली धूप  तुम्हारी मुस्कराहट 
देखते  रह   गए  हम   सूरत  तुम्हारी 
बसी  आँखों  में   तुम्हारी  मुस्कुराहट 

रेखा जोशी 

छुपा लिया अब हर गम मुस्कुराहट में अपनी

जहाँ  में  दर्द   से  अपना रिश्ता  निभाते  हुये 
लेकिन  प्यार  को अपने   दिल में बसाते हुये 
छुपा लिया अब हर गम मुस्कुराहट में अपनी 
है  जिये  जा  रहे  यूँहि   हम   मुस्कुराते  हुये 

रेखा जोशी 

Saturday 11 July 2015

निभायें गे इस बंधन को हम साथ साथ


जीवन की राहों में ले हाथों में हाथ
साजन मेरे चल रहे हम अब साथ साथ

अधूरे  है हम  तुम बिन सुन साथी  मेरे
आओ जियें जीवन का हर पल साथ साथ

आये कोई मुश्किल कभी जीवन पथ पर
सुलझा लेंगे दोनों मिल कर साथ साथ

तुमसे बंधी हूँ मै  साथी यह मान ले
निभायें गे इस बंधन को हम साथ साथ

छोड़ न जाना तुम कभी राह में अकेले
अब जियेंगे और मरेंगे हम साथ साथ

रेखा जोशी

भीगी आँखें अब तलाश रही है तुम्हें

बिन तुम्हारे  हमारा दिल बेकरार  है
जाने  क्यूँ   फिर  भी तेरा इंतज़ार है
भीगी  आँखें अब तलाश रही है तुम्हें
करते  नयन  दीदार   का  इंतज़ार है 

रेखा जोशी 

साँझ के बढ़ते अंधेरे में


लम्बी होती
परछाईयाँ
दिला रही एह्साह 
शाम के ढलने का 
हूँ उदास पर शांत 
ज़िंदगी की ढलती शाम 
आ रही करीब 
धीरे धीरे लेकिन
उम्र के इस पड़ाव पर 
पा रहीं सुकून 
मिला जो हमें
इक दूजे का साथ
साँझ के बढ़ते
अंधेरे  में 
रहे सदा हमारा
हाथों में हाथ

रेखा जोशी 

परछाई तेरी

यूँही सदियों से
चल रही पीछे पीछे
बन परछाई तेरी
अर्धांगिनी हूँ मै तुम्हारी
पर क्या
समझा है तुमने
बन पाई मै कभी
आधा हिस्सा तुम्हारा
बहुत सहन कर चुकी
अब मत बांधो मुझे
मत करो मजबूर
इतना कि तोड़ दूँ
सब बंधन
मत कहना फिर तुम
विद्रोही हूँ मै
नही समझे तुम
मै तो बस अपना
हक़ मांग रही हूँ
तुम्हारी
अर्धांगिनी होने का

रेखा जोशी

Friday 10 July 2015

उड़ गई महक प्यार की

बंद आँखों से
किसके पीछे कहाँ जा रहे 
हम तोड़ते रिश्ते
छोड़ते संस्कार
ठोकर में अब धर्म ईमान
लहू दौड़ता रगों में जो
बनता जा रहा 
वह  पानी
न माँ अपनी न बाप 
खून के प्यासे भाई भाई
उड़ गई महक प्यार की
सुनाई देती बस 
खनक पैसे की
प्यार है पैसा
ईमान है पैसा
बस पैसा ,पैसा
और पैसा 

रेखा जोशी 

हमें अब प्यार है तुमसे सजन पर


यहाँ   से    दूर    जाना  चाहते  है
नहीं  दिल  को  जलाना  चाहते है
हमें अब प्यार है तुमसे सजन पर
तुम्हें   फिर भी भुलाना  चाहते  हैं

रेखा जोशी 



Thursday 9 July 2015

बद अच्छा बदनाम बुरा


कच्चे धागों से जुड़े
दिलों के बंधन प्यारे  रिश्ते
दुनिया में
जीने के सहारे
कभी कभी
यह रिश्ते भी
हो जाते बदनाम
सास की प्यारी बहू
दुनिया उसके लाडले की
एक का बेटा और
दूजे का पति
अजब सा रिश्ता दोनों के बीच
दोनों का प्यार एक
दोनों का संसार एक
सुन्दर रिश्ता प्यारा बंधन
फिर भी हुआ बदनाम
लेकिन कहते है न
बद अच्छा बदनाम बुरा
है शायद यही
 इस रिश्ते की नियति
खूबसूरत होते हुये भी
बदनाम होना

रेखा जोशी

समा गया है इस तरह से मेरी ज़िंदगी में वोह


देखती जब आईना इक  अक्स दिखाई देता है
मन  बाँवरा गाता करता  रक्स दिखाई देता है
समा गया है  इस तरह से मेरी ज़िंदगी में वोह
बंद पलकों में  वही इक शख्स  दिखाई देता है

रेखा जोशी 

Wednesday 8 July 2015

चाह तेरी खींच लाई है हमें

ज़िन्दगी  जीना यहाँ नाकाम है 
पीजिए तो ज़िन्दगी इक जाम है 
… 
राह में देती बहुत गम ज़िन्दगी 
दीजिये सुन्दर इसे अंजाम है 
.... 
देख मन की आँख से तू ज़िन्दगी  
बस रहे घट घट  यहाँ पर राम है 
… 
चाह तेरी खींच लाई है  हमें 
अब मिला  हम को यहाँ पर काम है 
… 
ज़िन्दगी में प्यार से मिल कर रहें 
यह हमें रब ने दिया पैगाम है 

रेखा जोशी 

Tuesday 7 July 2015

गा रही गीत जहाँ हरी भरी वादियाँ

दिव्य सपनों सा हम बनायें घर अपना
फूलों  जैसा हम   महकायें   घर अपना
गा  रही   गीत  जहाँ  हरी  भरी वादियाँ
कुदरत के अंक में   सजायें  घर अपना

रेखा जोशी

थाम लेता मुश्किल में अपने भक्तों को

पूजा   तेरी    सारा     संसार करता  है
प्रेम सभी भक्तों से वह अपार करता है
थाम लेता मुश्किल में अपने भक्तों को
नैया  हम सबकी भगवन पार करता है

रेखा जोशी 

हो हमारे आस पास मगर दिखाई नही देते

ढूँढ़ते  हम  तुम्हे  डगर  डगर  दिखाई नहीं देते
क्या हुआ यहाँ तुम हमे अगर दिखाई नहीं देते
तुम्ही  तो  संवारते  हो  हमेशा  जीवन   हमारा
हो  हमारे   आस  पास  मगर  दिखाई नही देते 

रेखा जोशी


Monday 6 July 2015

गीतों में भर उठे रंग जब झूमने लगे सुर

बढ़ी  शोभा गीत संगीत की बजने लगे सुर
है लहराने लगा मन आँगन बहने  लगे सुर
नभ में उड़ने लगा मन हवाओं के संग संग
गीतों  में  भर उठे रंग जब झूमने लगे सुर

रेखा जोशी

है संगीत समाया कुदरत के कण कण में

सुर ताल की  झंकार से खनकता संगीत
तबले की थाप पर यहाँ  थिरकता संगीत
है संगीत समाया कुदरत के कण कण में 
लहर  लहर  ज़िंदगी  में लहराता  संगीत

रेखा जोशी 

मिल जाये हमें अगर मीत सा हमसफ़र यहाँ

कैसे  कटे यहाँ  सफर  अनजाना   जीवन का
कहीं बन न जाये सफर अफ़साना जीवन का
मिल जाये हमें अगर मीत सा हमसफ़र यहाँ
बन जाये यहाँ  फिर सफर सुहाना जीवन का

रेखा जोशी 

Sunday 5 July 2015

रह गए हम तन्हा

जानता है खुदा मेरा 
चाहा था तुम्हे दिल से 
तुमने भी किया 
प्यार हमसे 
कसमें भी खाई 
संग संग 
रहने की सदा 
न जाने 
फिर क्यों तुम 
चले गए छोड़ हमें 
अब क्या करें हम 
किससे करें शिकायत 
करें किससे गिला 
अब कोई  नही अपना पूछते है रब से 
ऐसा क्या गुनाह किया 
जो रह गए हम 
तन्हा 

रेखा जोशी 

तन्हा तन्हा हम [अलिवर्णपाद छंद]

अलिवर्णपाद छंद

टूट गई आस
कोई नहीं पास
कहाँ जाये हम
रास्ते गुम  हुये
छोड़ गये साथी
तन्हा तन्हा हम

रेखा जोशी

काश तुम लौट कर यहाँ आओ

वक्त जब भी शिकार करता है
ज़ख्म दिल पर हज़ार करता है

मौत आती  नहीं अजब मुश्किल
दर्द  दिल  पर  प्रहार  करता है
....
रात  दिन  है यहाँ  उदास ' दिल
जान तुम पर  निसार  करता है 

काश तुम लौट कर यहाँ आओ
आज  दिल  इंतज़ार  करता  है
....
जान जाये  हमें नहीं  गम अब 
याद  वह  बार   बार  करता  है 

रेखा जोशी 



बीती ज़िंदगी बहाते आँसू नैनो से

बहुत की कोशिश छुपाते आँसू नैनो से
टूटी   आशा   भी  रोते  आँसू   नैनों  से
न जाने ऐसी क्या खता हुई हमसे यहाँ
बीती   ज़िंदगी  बहाते  आँसू   नैनो  से

रेखा जोशी 

Saturday 4 July 2015

यादों में हमने अपनी तुमको बसा लिया है


यादों  में  हमने  अपनी  तुमको बसा लिया है
दुनिया से हमने तुमको दिल में छुपा लिया है
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रातो में आ आ कर अब हमको न तुम जगाना
सपनो में अपने हमने अब घर बना लिया है
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चमका  है  सूरज  भी तेरे चेहरे की दमक से
चन्दा  ने  भी  तेरी आभा को चुरा लिया है

शबनम रोई रातों  में यूँ तो उमर यहाँ पे
गुलशन ने भी खुशबू को दिल में बसा लिया है

आओ महका दो आँगन अब तुम सजन यहाँ पे
जीवन  में खुशियों को जोशी ने  सजा लिया है

रेखा जोशी 

Friday 3 July 2015

गज़ब मुहब्बत निभा रहे तुम

नज़र मिला कर झुका रहे तुम 
झुकी निगाहें उठा रहे तुम 
अभी अभी तो सनम मिले हो  
गज़ब मुहब्बत निभा रहे तुम 

रेखा जोशी 

पुकार सुन अब दिल की यहाँ सजन आजा


चली पवन जब शीतल वहाँ  सजन आजा 
मिला न प्यार हमें तुम कहाँ सजन आजा 
कहाँ  कहाँ  हम ढूँढे सजन  इधर  तुम को 
पुकार सुन अब दिल की यहाँ सजन आजा 

रेखा जोशी 

भूख के लिये भटकाती है रोटियाँ


भूख के लिये  भटकाती है रोटियाँ
मंज़र  कैसे  दिखलाती  है रोटियाँ
पेट की आग में यहाँ जल रहे  कई
जाने क्या क्या करवाती है रोटियाँ

रेखा जोशी 

Thursday 2 July 2015

रुकता नही वक्त कभी

रुकता नही वक्त कभी
चलती है ज़िंदगी संग इसके
तुम अकेले क्यों खड़े
रुके क्यों हो तुम
रुकता नही सूरज
और न ही रुकते
चाँद सितारे
फिर तुम किसका
कर रहे इंतज़ार
रुकना है मृत्यु
उठो चलो समझो तुम
अपने होने का अस्तित्व
बह जाओ संग धारा के
तुम में है वो फन
खिला सकते हो तुम
फूल ही फूल राहों में
महका सकते हो तुम
वन उपवन

रेखा जोशी

Wednesday 1 July 2015

है खाये इतने ज़ख्म इस दिल ने हमारे

चाहो अगर ख़ुशी के पल तभी  नहीं आते
बीते  हुये  लम्हे  फिर  से कभी नही आते
है  खाये  इतने  ज़ख्म  इस दिल ने हमारे
नैनों    से    हमारे   आँसू   भी  नही आते

रेखा जोशी 

कैसी यह व्यापार ज़िन्दगी


कैसा यह उपहार ज़िंदगी ?
किसका यह प्रतिकार ज़िन्दगी
...
तिल-तिल गलती रही जन्म से,
जन्मजात बीमार ज़िन्दगी 
....
दिल से देखो इस जीवन को 
रिश्ते  है आधार   ज़िन्दगी

कैसे बीते दिन रोते अब
आँसू की बौछार ज़िन्दगी
....
लेना देना है यह जीवन
कैसी यह व्यापार ज़िन्दगी
....
देखा जी भर दुनिया को अब
चलते हम  उसपार ज़िन्दगी
....
जीना सीखा हमने साजन
है तेरा आभार ज़िन्दगी

रेखा जोशी