ये
बूँदें
बरस
रही अब
आसमान से
भीगा भीगा तन
हर्षित हुआ मन
अब आ जाओ सजन
ढूँढे तुम्हे प्यासे नयन
लागे न कहीं हमारा मन
हे री सखी बरसता सावन
रेखा जोशी
बूँदें
बरस
रही अब
आसमान से
भीगा भीगा तन
हर्षित हुआ मन
अब आ जाओ सजन
ढूँढे तुम्हे प्यासे नयन
लागे न कहीं हमारा मन
हे री सखी बरसता सावन
रेखा जोशी
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