यादों में हमने अपनी तुमको बसा लिया है
दुनिया से हमने तुमको दिल में छुपा लिया है
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रातो में आ आ कर अब हमको न तुम जगाना
सपनो में अपने हमने अब घर बना लिया है
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चमका है सूरज भी तेरे चेहरे की दमक से
चन्दा ने भी तेरी आभा को चुरा लिया है
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शबनम रोई रातों में यूँ तो उमर यहाँ पे
गुलशन ने भी खुशबू को दिल में बसा लिया है
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आओ महका दो आँगन अब तुम सजन यहाँ पे
जीवन में खुशियों को जोशी ने सजा लिया है
रेखा जोशी
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