Saturday, 4 July 2015

यादों में हमने अपनी तुमको बसा लिया है


यादों  में  हमने  अपनी  तुमको बसा लिया है
दुनिया से हमने तुमको दिल में छुपा लिया है
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रातो में आ आ कर अब हमको न तुम जगाना
सपनो में अपने हमने अब घर बना लिया है
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चमका  है  सूरज  भी तेरे चेहरे की दमक से
चन्दा  ने  भी  तेरी आभा को चुरा लिया है

शबनम रोई रातों  में यूँ तो उमर यहाँ पे
गुलशन ने भी खुशबू को दिल में बसा लिया है

आओ महका दो आँगन अब तुम सजन यहाँ पे
जीवन  में खुशियों को जोशी ने  सजा लिया है

रेखा जोशी 

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