प्रगति के पथ पर
कर रहा मानव उत्थान
बनमानुष से बना इंसान
कर रहा नित नये आविष्कार
जोड़ दी
धरा गगन से
जा पहुंचा चाँद के पार
रच रहा इतिहास नये
खोले मंगल के भी द्वार
उन्नति की उड़ान ने
मचा दी ब्रह्मांड में हलचल
सभ्यता नई खोजने
है रहा मानव मचल
गर होती रही तरक्की ऐसे
करेंगे नाश्ता धरती पर
और रात्रि भोज मंगल पर
रेखा जोशी
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