बंद आँखों से
किसके पीछे कहाँ जा रहे
हम तोड़ते रिश्ते
छोड़ते संस्कार
ठोकर में अब धर्म ईमान
लहू दौड़ता रगों में जो
बनता जा रहा
वह पानी
न माँ अपनी न बाप
खून के प्यासे भाई भाई
उड़ गई महक प्यार की
सुनाई देती बस
खनक पैसे की
प्यार है पैसा
ईमान है पैसा
बस पैसा ,पैसा
और पैसा
रेखा जोशी
किसके पीछे कहाँ जा रहे
हम तोड़ते रिश्ते
छोड़ते संस्कार
ठोकर में अब धर्म ईमान
लहू दौड़ता रगों में जो
बनता जा रहा
वह पानी
न माँ अपनी न बाप
खून के प्यासे भाई भाई
उड़ गई महक प्यार की
सुनाई देती बस
खनक पैसे की
प्यार है पैसा
ईमान है पैसा
बस पैसा ,पैसा
और पैसा
रेखा जोशी
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