सावन बरसा अब आँगन में, चलती मस्त बयार लिखें
मिलजुल कर अब रहना सीखें प्यारी इक बौछार लिखें
भीगा मेरा तन मन सारा ,भीगी मलमल की चुनरी
छाये काले बादल नभ पर , बिजुरी अब उसपार लिखें
रेखा जोशी
मिलजुल कर अब रहना सीखें प्यारी इक बौछार लिखें
भीगा मेरा तन मन सारा ,भीगी मलमल की चुनरी
छाये काले बादल नभ पर , बिजुरी अब उसपार लिखें
रेखा जोशी
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