Thursday 31 March 2016

जख्म दिल के जो मिले नासूर बन चुके आज

नींद से  तुम हमें जगाते रहे बार बार
ख्वाबों में तुम हमें सताते रहे बार बार
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चैन ओ सकून लेकर कहाँ चले  हमारा
हाल ऐ दिल अपना सुनाते  रहे बार बार
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रात दिन खिलते रहे दिल में कमल यादों के
यादों  में   आकर   रुलाते   रहे   बार   बार
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जो जख्म दिल को  मिले नासूर  हो गये आज
मुहब्ब्त  में  दिल  को   जलाते  रहे  बार  बार
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क्या करें तुम्हे न भूल पायें गे ज़िंदगी भर
दर्द ऐ दिल अपना छिपाते रहे बार बार

रेखा जोशी 

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