जीवन में हमारे आज आई नई भोर
लेकिन तकदीर पर चलता नहीं भई जोर
थे उलझ गये धागे ज़िंदगी में हमारे
आओ मिलकर सुलझायें उलझी हुई डोर
रेखा जोशी
लेकिन तकदीर पर चलता नहीं भई जोर
थे उलझ गये धागे ज़िंदगी में हमारे
आओ मिलकर सुलझायें उलझी हुई डोर
रेखा जोशी
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