पर्वतों से मिला हमें जल नवल धवल
जहाँ बहती थी सुन्दर सरिता कल कल
बिगाड़ा रूप हमने मिलकर तरंगिनी का
है प्रदूषित काला अब नदिया का जल
रेखा जोशी
जहाँ बहती थी सुन्दर सरिता कल कल
बिगाड़ा रूप हमने मिलकर तरंगिनी का
है प्रदूषित काला अब नदिया का जल
रेखा जोशी
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