Monday, 14 March 2016
कोयल कुहक रही अंबुआ की डार सखी
कोयल कुहक रही अंबुआ की डार सखी
फागुन की चलने लगी मस्त बयार सखी
फूलों की महक छाई अँगना में मेरे
है आये सजन आज मेरे द्वार सखी
रेखा जोशी
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