होती पीड़ा कितनी
जब शूल से
चुभते पल कुछ
आते जीवन में
क्षण ऐसे भी
जब छा जाता तिमिर
चहुँ ओर
सूझती नही
कोई भी राह
जब बन जाते ह
फूल भी कांटे
चाह हो उड़ने की
जब
है पंख कट जाते
जब शूल से
चुभते पल कुछ
आते जीवन में
क्षण ऐसे भी
जब छा जाता तिमिर
चहुँ ओर
सूझती नही
कोई भी राह
जब बन जाते ह
फूल भी कांटे
चाह हो उड़ने की
जब
है पंख कट जाते
तब
रेखा जोशी
रेखा जोशी
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