Friday, 30 March 2018

जीने के सभी सहारे चले गये

जाने अब कहाँ नज़ारे चले गये
जीने के सभी सहारे चले गये
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ढल गया दिन भी और छुप गया चाँद
जाने कहाँ सब सितारे चले गये
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मालूम था तुम ना आओ गे यहाँ
फिर भी यूँ हि हम पुकारे चले गये
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दर्द इस कदर भी सताये गा हमें
अरमान सब सँग तुम्हारे चले गये
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तेरे बिन सूना हुआ घर हमारा
लूट कर सब तुम हमारे चले गये

रेखा जोशी

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