Wednesday, 14 March 2018

मुक्तक

माँ ने बनाये लड्डू  ढेर खाए हमने
खा लो भाई जी है प्यार समाया इसमे
लड्डू खा कर भैया बने हम गोल मटोल
जी भर के खाएं लड्डू मिलकर हैं सबने

रेखा जोशी

No comments:

Post a Comment