221 2121 1221 212
जीना अगर यहां पर तो इंकलाब कर
अपना न इस कदर अब जीवन खराब कर
,
सुन ज़िन्दगी तुझे अब अपना बना लिया
इकरार प्यार का कर ले आज बाब कर
.
आती नहीं बहार कभी ज़िन्दगी यहां
चल आज ज़िन्दगी अब मेरा हिसाब कर
.
छाया नशा पिया कुछ ऐसा बहार का
पी जाम ज़िन्दगी मत अब तू हिजाब कर
.
साथी कभी मिले हम पूछें उसे ज़रा
तुम रंग प्यार का भर अब लाजवाब कर
रेखा जोशी
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