हाथ जोड़ झुकाये मस्तक
उर में भाव हृदय में वंदन
पूछा भक्त ने भगवन से
पूजा करूँ निस दिन तिहारी
कब दोगे दरस अपने
कब मिलोगे हे प्रभु
शीश झुकाये करूँ नित वंदन
हे करुणानिधान
अंतरघट तक प्यासे नैना
दरस तेरा पाने को
अलौकिक चमत्कार
हुआ इक फिर
आकाशवाणी से गूंजे
प्रभु के स्वर मधुर
मै तो रहता साथ तेरे
हर घड़ी हर पल
देख माँ के नैनों में
ममता दिखेगी मेरी
पूरी करती इच्छायें तेरी
लूटा कर
अपना सब कुछ तुम पर
तेरे लिए प्रार्थना करती
जीती वह तेरे लिये
खुद को स्वाहा कर
तेरे लिये मरती
माँ ही भगवान माँ ही ईश्वर
दिल न कभी दुखाना उसका
माँ की पूजा जो करता
वह है मुझे प्रिये
वह है मुझे प्रिये
रेखा जोशी
Waah kya baat hai.
ReplyDeleteSlashdot, Goone & Giphy