Thursday, 16 May 2019

एक कप चाय का प्याला और सौगंध बाप की

एक कप चाय का प्याला और सौगंध बाप की

शर्मा जी ने हाल ही में सरकारी नौकरी का कार्यभार संभाला था,अपनी प्रभावशाली लेखन शैली के कारण वह बहुत जल्दी अपने ऑफ़िस में प्रसिद्ध हो गए। जिस किसी को भी अपनी रिपोर्ट उपर के ऑफ़ीसर को भेजनी होती थी, वह एक बार उनसे  राय जरूर ले लेता था। उसी ऑफ़िस में कार्यरत एक कर्मचारी हर रोज़ शाम के समय शर्मा जी के कमरे में आकर मित्रता  के नाते बैठने लगा,और धीरे धीरे अपनी रिपोर्ट भी उनसे बनवाने लगा। जब शर्मा जी उसकी रिपोर्ट लिख रहे होते वह उनके लिए एक कप चाय मंगवा देता ,कुछ दिन तक यह सिलसिला चलता रहा और एक दिन  शर्मा जी को ऐसा लगा जैसे वह उन्हें चाय रिपोर्ट लिखने के बदले में पिला रहा है तो उसी क्षण उन्होंने उसके लिए लिखना बंद कर दिया।

शर्मा जी के मना करने पर वह कर्मचारी गुस्से से लाल पीला हो गया ,आव देखा न ताव एक घूंसा शर्मा जी की तरफ बढ़ा दिया जिसे उन्होंने  ने बीच में ही  काट उस कर्मचारी के मुख पर जोर से घूंसा जड़ दिया। आग की तरह जल्दी ही बात पूरे ऑफ़िस में फैल गई। दोनों को बड़े साहब ने बुलाया ,चोट लगे कर्मचारी के साथ पूरे स्टाफ की सहानुभूति थी और उसने भी रोते हुए बड़े साहब से अपने बाप की सौगंध खाते हुए कहा कि वह बिलकुल निर्दोष है ,नतीजतन शर्मा जी से लिखित स्पष्टीकरण माँगा गया। उस रात शर्मा जी सो न सके,सुबह उठते ही इस्तीफा लिख कर जेब में रखा और ऑफ़िस पहुंच गए।

वहां पहुंचते ही पता चला कि रात को उस कर्मचारी के पिता जी परलोक सिधार गए।

रेखा जोशी

4 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (18 -05-2019) को "पिता की छाया" (चर्चा अंक- 3339) पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    ....
    अनीता सैनी

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    1. सादर आभार आपका अनीता जी 🙏

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  2. Replies
    1. सादर आभार आपका 🙏 🙏

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