कह मुकरियाँ
मत लो और मेरी परीक्षा कर रही हूँ तेरी प्रतीक्षा रहता सदा तेरा ही ध्यान का सखि साजन, न सखि भगवान .. राह निहारूं मैं बार बार आने से है आये बहार खिले मनवा भरी दोपहरी का सखि साजन, ना सखि महरी
रेखा जोशी
बहुत सुन्दर
सादर आभार आपका 🙏
बहुत सुंदर पंक्तियाँ।मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।iwillrocknow.com
वाह सुंदर कह मुकरियां ।विशेष भाव ।
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteसादर आभार आपका 🙏
Deleteबहुत सुंदर पंक्तियाँ।
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
iwillrocknow.com
सादर आभार आपका 🙏
Deleteवाह सुंदर कह मुकरियां ।
ReplyDeleteविशेष भाव ।
सादर आभार आपका 🙏
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