Friday, 27 September 2019

कह मुकरियाँ

कह मुकरियाँ

मत लो और मेरी परीक्षा
कर  रही  हूँ तेरी प्रतीक्षा
रहता सदा तेरा ही ध्यान
का सखि साजन, न सखि भगवान
..
राह  निहारूं मैं बार बार
आने  से  है आये   बहार
खिले मनवा भरी दोपहरी
का सखि साजन, ना सखि महरी

रेखा जोशी

6 comments:

  1. बहुत सुन्दर

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  2. बहुत सुंदर पंक्तियाँ।
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
    iwillrocknow.com

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  3. वाह सुंदर कह मुकरियां ।
    विशेष भाव ।

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    1. सादर आभार आपका 🙏

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