Thursday, 27 June 2019

जब से हुई है तुमसे आँखें चार

जब से हुई है तुमसे आँखें चार
जग उठे हैं दिल में अरमान हजार
..
ख्यालों  में रहते हमारे सदा तुम
करने लगे तुमसे प्यार हम अपार
...
दिल में मेरे जब से आए हो तुम
आँखे बंद कर  निहारें बार  बार
...
जाओ गे दूर हमसे जब कभी तुम
ज़िंदगी भर करेंगे हम इंतजार
..
तुम ही तुम हो  जिंदगी में हमारी
है  तुमसे  ही अब  हमारा संसार

रेखा जोशी

11 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (30 -06-2019) को "पीड़ा का अर्थशास्त्र" (चर्चा अंक- 3382) पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ....
    अनीता सैनी

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    1. हार्दिक धन्‍यवाद अनीता जी 🙏

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  2. उम्दा /बेहतरीन प्रस्तुति।

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    1. हार्दिक धन्यवाद

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  3. बहुत सुन्दर

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    1. धन्यवाद आपका Onkar जी

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  4. Bahut hi pyari kavita. Mann prasann ho gaya.

    Shayad ye bhi aapko pasand aayen- Dryland farming in India , Objectives of organic farming in India

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  5. ख्यालों में रहते हमारे सदा तुम
    करने लगे तुमसे प्यार हम अपार
    manbhavook line thanks

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