आधार छंद --चौपैया (मात्रिक)
शिल्प विधान -30 मात्राएँ (10,8,12 पर यति) अंत में गागा अनिवार्य ।
मुखड़ा ,
समांत आएं, पदांत हैँ
अंतरा 1
समांत इये,पदांत तेरी
अंतरा 2
समांत आए अपदांत
दीप जलाएं अब , ख़ुशी मनाएं, अंगना सजाएँ हैँ
घर हमारे आज, भगवान राम,धाम अवध आएं हैँ
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आरती उतारूं, शीश झुकाऊँ, दया चाहिए तेरी
आशीष मिले प्रभु, सुन लो पुकार ,कृपा चाहिए तेरी
मन मंदिर प्रभु जी ,आन बसो तुम, हम शीश झुकाएं हैं
घर हमारे आज, भगवान राम,धाम अवध आएं हैँ
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मिल कर रहें सभी,तुम्हीं सहारे,कष्ट न कोई पाए
सर ऊपर प्रभु का, रहे हाथ जब, दुख दर्द मिटा जाए
राम कृपा करना, सब दुख हरना, सुधबुध बिसराए हैँ
घर हमारे आज, भगवान राम, धाम अवध आएं हैँ
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दीप जलाएं अब , ख़ुशी मनाएं, अंगना सजाएँ हैँ
घर हमारे आज, भगवान राम,धाम अवध आएं हैँ
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रेखा जोशी