Friday, 14 November 2025

खूब जला वो दिया

खूब जला वो दिया पर

अँधेरा दूर न कर सका

किया भी तो कुछ पल के लिए

दो दिन की रोशनी नें एहसास दिलाया

शायद अब न आएगा अंधियारा

..

दिया जलता रहा जलता रहा

था ह्रदय में विश्वास

वह रोशन करेगा संसार

थी उम्मीद और आस भी

किया संकल्प उसने

दी अपनी ज्योति

असंख्य दियों को उसने

फैलाई रोशनी चहुँ ओर उसने

मिटाया अंधकार हुआ चमत्कार

जगमगाने लगे सब ओर

दिये ही दिये

उजियारा हुआ पूरा संसार

उजियारा हुआ पूरा संसार

रेखा जोशी

Friday, 10 October 2025

करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं

सज धज के पिया मैंने सोलह सिंगार किया 
माथे सजाई बिंदिया चाँद का दीदार किया 
..
तुझसे ही है प्रियतम सब रंग मेरे जीवन के 
प्रार्थना तेरे लिए रब से सौ बार किया 
..
जीवन में सजन आए मेरी ज़िन्दगी संवारी 
सजाये सपनें मैंने तुमने ही साकार किया 
..
जन्म जन्म के साथी मेरे साजन तुम्हीं तो हो 
हर जन्म तुमसे तो मैंने ही प्यार किया 
..
आती रहें खुशियाँ साजन हमारे अँगना 
जीवन अपना सारा तुम पे ही निसार किया 

रेखा जोशी 

Thursday, 2 October 2025

विजयादशमी की हार्दिक बधाई

विजयादशमी की हार्दिक बधाई

जलता है रावण धू धू कर 
भारत में हर वर्ष हर गली हर शहर 
रावण बुराई का प्रतीक, उसे जला कर
है अच्छाई जाती जीत
क्या वास्तव में रावण के पुतला जलाने पर
बुराई हो जाती भस्म राख बन कर
है रहता रावण हमारे अंतस में
रावण मरता नहीं कभी
अमृत नाभि में उसके है अभी भी
बार बार जीवित हो उठता
हमारे अंतस का रावण
है मिटाना गर बुराई को तो 
झाँक ले अपने भीतर
जला कर अंतस के रावण को 
खाक होंगी बुराई तभी फिर
ध्वज लहराएगा अच्छाई का सब ओर फिर

रेखा जोशी




Tuesday, 9 September 2025

हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

कैसे करूँ यशगान,हिंदी हमारी शान
सबसे निराली भाषा,समेटे स्वयं में ज्ञान

प्रेमचंद की कहानि‍यां
महाकवि निराला की निराली रचनाएँ
मंत्र मुग्ध कर देती जयशंकर प्रसाद जी की 
अनुपम रचनाएँ कविताएँ
किस किस का नाम लिखूँ अनमोल रतन सारे
भारत की संस्कृति  हिंदी, है हमारी पहचान

कैसे करूँ यशगान हिंदी हमारी शान
सबसे निराली भाषा,समेटे स्वयं में ज्ञान

सहज सरल भाषा यह
अनुपम अलंकृत शब्द इसके
सुन्दर अप्रतिम सीधे उतरते दिल में हमारे
यह मातृभाषा हमारी.है हमारा स्वाभिमान

कैसे करूँ यशगान हिंदी हमारी शान
सबसे निराली भाषा,समेटे स्वयं में ज्ञान

महादेवी वर्मा, पंत, दिनकर, जगमगाते सितारे
वंदन अभिनंदन करते हम
चमकेंगे युगों युगों तक ज्यूँ अंबर में चंदा तारे
राष्ट्र भाषा का कब मिलेगा इसे मान सम्मान

कैसे करूँ यशगान हिंदी हमारी शान
सबसे निराली भाषा,समेटे स्वयं में ज्ञान

रेखा जोशी

Thursday, 1 May 2025

श्रम दिवस


खून पसीना कर अपना 
दो जून की रोटी खाते हैं
जिस दिन मिलता
कोई काम नहीं
भूखे ही सो जाते है

रहने को मिलता कोई घर नहीं
सर ऊपर कोई छत नहीं
श्रम दिवस मना कर इक दिन
भूल हमें सब जाते हैं

किसे सुनाएँ इस दुनिया में
हम दर्द अपना कोई भी नहीं
इस जहां में हमदर्द अपना
गिरता है जहाँ पसीना अपना
पहन मुखौटे नेता यहां पर
सियासत करने आ जाते हैं
हमारे पेट की अग्नि पर
रोटियाँ अपनी सेकते हैं

मेहनत कर हाथों से अपने
जीवन यापन करते हैं
नहीं फैलाते हाथ अपने
अपने दम पर जीते हैं

रेखा जोशी
      

Monday, 24 March 2025

आखिरी मुलाक़ात

आखिरी मुलाक़ात (लघुकथा)

जब से सुधा को पता चला उसे ब्लड कैंसर है, वह खामोश रहने लगी, अस्पताल में उसका इलाज चलने लगा, सारा दिन बिस्तर पर लेटे लेटे छत को निहारती रहती, अशोक उसका पति जी जान से उसकी सेवा में लगा रहता, वह सुधा को खुश रखना चाहता था लेकिन सुधा की मुस्कुराहट तो उसके चेहरे से हमेशा के लिए गायब हो चुकी थी, "लीजिए जनाब गरमागरम  चाय पीजिये," कहता हुआ अशोक कमरे में दाखिल हुआ l
आज अशोक को देखते ही सुधा के चेहरे पर हलकी सी मुस्कुराहट आ गई, अशोक ने चाय की ट्रे को पास के मेज पर रखा और प्यार से सुधा का हाथ अपने हाथों में ले लिया, अशोक सुधा का खिला चेहरा देख बहुत खुश था, तभी सुधा के होंठ हिले, बोली, "याद है जब हम पहली बार मिले थे, कितने प्यारे दिन थे, वह दोनों अपने भूले बिसरे दिनों को यादों में फिर से जीने लगे l अचानक आँखें बंद करके सुधा ने गहरी सांस ली और बात करते करते वह चुप हो गई l न जाने अशोक को वह चुप्पी खलने लगी, उसके हाथ में अभी भी सुधा का हाथ था, अशोक ने उसे हिलाया लेकिन सुधा के शरीर में कोई हरकत नहीं हुई l अशोक के सामने सुधा का जिस्म पड़ा था लेकिन वह उसे तन्हा छोड़ कर बहुत दूर जा चुकी थी सदा सदा के लिए l

रेखा जोशी 

Thursday, 30 January 2025

खिलौना (लघुकथा )

खिलौना 

मीनू और अजय अपनी छोटी सी गुड़िया दीप्ती के साथ घर का कुछ जरूरी सामान लेने डी मार्ट स्टोर पहुँच गए वहां एक रैक में बहुत आकर्षक ढंग से खिलौने सज रहे थे जिन्हें देखते ही दीप्ती की आँखें चमक उठी, वह वहीं खड़ी होकर एक एक खिलौने को अपने नन्हें नन्हें हाथों से छू कर देखने लगीl

अजय की नौकरी छूट जाने के कारण आजकल उनका हाथ कुछ तंग था इसलिए वह एक ट्रॉली में घर में इस्तेमाल होने वाला बहुत ही जरूरी सामान सोच समझ कर रख रहे थेl घर के हालात से बेखबर दीप्ती एक छोटी सी लाल रंग कार जिसे बच्चे खुद चलाते हैँ लेने की ज़िद्द करने लगीl. अजय नें बड़े प्यार से उसे गोद में उठा लिया और समझाने की कोशिश करने लगा कि अगले महीने उसे वह बहुत बढ़िया गाड़ी खरीद देगा, लेकिन बाल हठ कहाँ कुछ सुनता है l वह उस कार को लेने के लिए और भी मचल उठी और ज़ोर ज़ोर से रोने लगी l वह मीनू और अजय की बात ही नहीं सुन रही थी बस रोये जा रही थीl 

मीनू रोती हुई दीप्ती को खींचते हुए स्टोर से बाहर आ गई और अजय सामान के बिल का भुगतान करने लगा l स्टोर से बाहर आते ही अजय नें नन्ही सी लाल रंग की चाबी से चलने वाली कार अपनी प्यारी बिटिया के हाथ में थमा दी उसे देखते ही दीप्ती के मासूम चेहरे पर मुस्कान आ गई और अजय नें भी राहत की सांस ली l

रेखा जोशी 

Wednesday, 22 January 2025

उनकी यादों से कहो


बहार आई मेरे उपवन , फूल खिलाते रहिए 
उनकी यादों से कहो ह्रदय,को महकाते रहिए
..
साथ तेरा जो मिला हमको,पा लिया जहां हमनें 
गम नहीं कोई सजन हमको, यूँहि बुलाते रहिए
.
साज़ बजने लगेअब दिल के,आप आए हो यहाँ 
चाँद की चाँदनी में साजन, यूँहि नहाते रहिए 
..
यूँहि चलते रहे दोनों अब , लेकर हाथ में हाथ
साथ छूटे न कभी अपना , कदम मिलाते रहिए 
..
खुशियाँ घर बरसी अपने,अब रोशन है दुनिया
जगमगाये घर अँगना दीप ,यूँहि जलाते रहिए

रेखा जोशी