बहार आई मेरे उपवन , फूल खिलाते रहिए
उनकी यादों से कहो ह्रदय,को महकाते रहिए
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साथ तेरा जो मिला हमको,पा लिया जहां हमनें
गम नहीं कोई सजन हमको, यूँहि बुलाते रहिए
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साज़ बजने लगेअब दिल के,आप आए हो यहाँ
चाँद की चाँदनी में साजन, यूँहि नहाते रहिए
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यूँहि चलते रहे दोनों अब , लेकर हाथ में हाथ
साथ छूटे न कभी अपना , कदम मिलाते रहिए
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खुशियाँ घर बरसी अपने,अब रोशन है दुनिया
जगमगाये घर अँगना दीप ,यूँहि जलाते रहिए
रेखा जोशी