Monday 4 August 2014

क्यों चिपके रहें गुज़रे वक्त की यादों में

वक्त तो गुज़र जाता है रुकता  फिर कहाँ
सिमट जाता है  सपनों में रहता फिर कहाँ
क्यों  चिपके  रहें  गुज़रे  वक्त की यादों में
गुज़रा वक्त तो बीत गया आता फिर कहाँ

रेखा जोशी

No comments:

Post a Comment