शीर्षक :है उनके पेट में धधकता श्मशान
जिंदगी जीने के लिए चाहिए
खाने का सामान
व्याकुल भूख से कई यहाँ
है उनके पेट में धधकता श्मशान
जिंदगी कैसी यहाँ
है बच्चे भी करते श्रम यहाँ
पेट भरने को नहीं है आहार
घर गरीबों के घरों में
है शिक्षा का अभाव
भूख के मारे यहाँ पर हैं बहुत इंसान
है उनके पेट में धधकता श्मशान
भुला कर सब जात पात सबका करें सम्मान
सामर्थ्य है गर करते रहो तुम अन्न का दान
भूखे पेट न सोये कोई
है उनके पेट में धधकता श्मशान
रेखा जोशी
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