"हमारी धूप छांव जैसी जिंदगी"
यहां सुख दुःख से है भरी जिंदगी
हर वक्त इम्तिहान लेती जिंदगी
जीत मिलती कभी मिलती यहां हार
हमारी धूप छांव जैसी जिंदगी
रुकता नहीं वक्त किसी के. वास्ते
लम्हा लम्हा हाथों से फिसलती जिंदगी
हैं खुशियाँ कहीं सन्नाटा मौत का
आँसू बहाती कहीं हँसती जिंदगी
दो दिन का मेला जीवन इक खेला
न ग़म कर फूल सी महकती जिंदगी
रेखा जोशी
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