वक्त कब गुज़र जाता है
पता ही नहीं चलता, कैसे बंधी है
हमारी ज़िन्दगी
घड़ी की टिक टिक के साथ
सुबह से शाम , रात से दिन
बस घड़ी की टिक टिक के संग
हम सब चलते जा रहे हैं
समय को तो आगे ही
चलते जाना है,
जिंदगी का हर पल अनमोल है
लेकिन कर्मो का बहुत झोल है
हमारी जीत हमारी हार
है कर्म ही सबका आधार
जैसे कर्म करेंगे वैसे ही मिलेगा फल
कर्म गति टाले नहीं टलती ।
रेखा जोशी
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