सुख दुख की लहरों पर अक्सर
लड़खड़ाती है जीवन नैया
काटना कठिन है जीवन सफर
है संघर्षरत यह जीवन
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घिर घिर काले घन आते जब
प्रलय की आँधी से फिर तब
रह रह कर उठे बवंडर
ऊंची नीची लहरों से जूझते लड़ते
थक जाता है मानव अक्सर
बाधाओं से घिर जाये मानव तब
है संघर्षरत यह जीवन
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चमक चमक कर नभ में जब
जिया धड़काती दामिनी
घबराना नहीं डरना भी नहीं
चीर कर घोर तूफानों को तब
बढ़ते रहना तुम निरंतर
पार बाधाओं को कर सारी
मंजिल पानी है तुम्हें
उस पार नैया ले जानी तुम्हें
चलते जाना तुम अविचल
है संघर्षरत यह जीवन
रेखा जोशी