Wednesday 16 September 2020

नाचती गाती गुनगुनाती यह जिंदगी

अक्सर
मै देखा करती हूँ
ख़्वाब खुली आँखों से
अच्छा लगता है
लगा कर सुनहरे पँख
जब आकाश में पंछियों सा 
उड़ता है मेरा मन

छिड़ जाते है जब तार
इंद्रधनुष के
और
बज उठता है
अनुपम संगीत
थिरकने लगता है
मेरा मन
होता है सृजन मेरी
कल्पनाओं का
जहां मुस्कुराती है 
यह ज़िन्दगी
जहां नाचती गाती और गुनगुनाती है 
यह जिंदगी 

रेखा जोशी

No comments:

Post a Comment