अखबार से मिले हमें,लोकतंत्र का ज्ञान
पढ़ने को नित ही मिलें नेताओं के ब्यान
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चोरी डकैत की खबर,भरा पड़ा अखबार
लूट खसोट करें कई ,पढ़ें नित समाचार
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पेट के लिए बेचते, घर घर सभी द्वार
साईकिल पे घूम कर, पहुँचाते अखबार
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पढ़ो अगर अखबार तो ,भरे ज्ञान भंडार
दुनिया को फिर जान कर,ज्ञान का हो विस्तार
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ठंड या गर्म हो हवा, नहीं करें आराम
घर से पड़ते ये निकल, करते अपना काम
रेखा जोशी