Monday, 31 January 2022

समाचार पत्र


अखबार से मिले हमें,लोकतंत्र का ज्ञान
पढ़ने को नित ही मिलें नेताओं के ब्यान
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चोरी डकैत की खबर,भरा पड़ा अखबार 
 लूट खसोट करें कई ,पढ़ें नित समाचार
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पेट के लिए बेचते, घर घर सभी द्वार
साईकिल पे घूम कर,  पहुँचाते अखबार
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पढ़ो अगर अखबार तो ,भरे ज्ञान भंडार
दुनिया को फिर जान कर,ज्ञान का हो विस्तार
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ठंड या गर्म हो हवा, नहीं करें आराम
घर से पड़ते ये निकल, करते अपना काम

रेखा जोशी


Wednesday, 12 January 2022

जी ले ज़िन्दगी अपनी

ख्वाब नहीं है ज़िन्दगी
कहते है अक्सर लोग
माना ज़िन्दगी है हकीकत लेकिन
देखते ही रहते हैं ख्वाब और
ताउम्र लगे रहते हैं
पूरा करने उन्हीं को
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लम्हा लम्हा ज़िन्दगी
रेत सी फिसल रही हाथों से
लम्हा लम्हा बहुत कुछ
है छूट रहा हाथों से
जी ले ज़िन्दगी अपनी
इससे पहले कि छूट जाए
ज़िन्दगी ही हाथों से
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कितना प्यारा मौसम है
खुश हैं ज़मी खुश आसमाँ
महकती धरा
छाया सब ओर नशा
बाहें फैलाये पुकारे तुम्हे
कहाँ हो ज़िन्दगी
आ जाओ ना

रेखा जोशी