कहते है अक्सर लोग
माना ज़िन्दगी है हकीकत लेकिन
देखते ही रहते हैं ख्वाब और
ताउम्र लगे रहते हैं
पूरा करने उन्हीं को
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लम्हा लम्हा ज़िन्दगी
रेत सी फिसल रही हाथों से
लम्हा लम्हा बहुत कुछ
है छूट रहा हाथों से
जी ले ज़िन्दगी अपनी
इससे पहले कि छूट जाए
ज़िन्दगी ही हाथों से
,,
कितना प्यारा मौसम है
खुश हैं ज़मी खुश आसमाँ
महकती धरा
छाया सब ओर नशा
बाहें फैलाये पुकारे तुम्हे
कहाँ हो ज़िन्दगी
आ जाओ ना
रेखा जोशी
बेहतरीन लेखन
ReplyDeleteबहुत सुंदर और सकारात्मक भावों से भरी रचना। सच में जिस दृष्टि से हम दुनियां को देखते हैं वह वैसी ही दिखने लगती है। लोहड़ी पर्व और मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई आपकोरेखा जी 🙏🌷🌷❤️❤️
ReplyDeleteलम्हा लम्हा ज़िन्दगी
ReplyDeleteरेत सी फिसल रही हाथों से
लम्हा लम्हा बहुत कुछ
है छूट रहा हाथों से
जी ले ज़िन्दगी अपनी
इससे पहले कि छूट जाए
ज़िन्दगी ही हाथों से
जिंदगी जीने की कला बताती बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति!
जियो ऐसे जैसे आज आखिरी दिन है जिंदगी का!😊
सुंदर सृजन।
ReplyDeleteसादर।