Saturday, 26 March 2022

विद्यार्थी जीव्न और सच्चाई

विद्यार्थी जीव्न और सच्चाई

विद्यार्थी जीवन किसी भी  व्यक्ति के जीवनकाल का सुनहरा समय होता है जिसमे वह ज्ञान प्राप्ति के  साथ साथ अपने चरित्र का भी  निर्माण करता है।विद्यार्थी जीवन का सबसे बड़ा दुश्मन आलस है,इस समय उसे आलस्य त्याग कर मानसिक एवं शारीरिक परिश्रम करना चाहिए . परिश्रमशील छात्र का जीवन ही सदा सुखमय रहता है । विधार्थियों को इस समय में पूर्ण अनुशासित होकर अपने गुरुओं का आदर कर अपने जीवन को आदर्श जीवन बनाना चाहिए।

इस समय शिक्षकों और अभिभावकों का भी कर्तव्य है कि वह भावी पीढ़ी का चरित्र निर्माण कर उन्हें सच्चाई के मार्ग पर चलना सिखाये ,भले ही इस राह पर चलने के उन्हें कई कठिनाईयो का सामना करना पड़ सकता है ,लेकिन अंत में जीत सच्चाई की ही होती है ।एक सच्चा व्यक्ति जीवन में सदा नैतिकता की राह पर चलेगा और सब  बुराईयों से दूर रहेगा ।सच्चाई के मार्ग पर चलने वाला विद्यार्थी  सदा समाज और देश के हित के बारे में ही सोचेगा और वैसा ही कर्म भी करेगा देश के उत्थान की नींव विद्यार्थी जीवन में ही पड जाती है क्योकि आज का विद्यार्थी ही कल को देश का कर्णधार होगा ।

रेखा जोशी

Friday, 18 March 2022

होली की हार्दिक शुभकामनाएं

होली पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं


उपवन सजा हुआ है अब फूल मुस्कुराएं 

हम  आज  गीत  गाएँ  होली मिल मनाएं

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छाई  बहार मौसम भी है खिला खिला सा

है  रंग छलकते भूलें शिकवे गले लगाएं 

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नीले. हरे   सभी  सुन्दर चेहरे   रंगे  हैं

होली सखी खेलों पिचकारी पिया चलाएँ 

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नाचे सभी मचायें हुड़दंग बहार आई 

भीगा पिया बदन और मदमस्त हैं फिजाएं


आया मधुमास सखी है आस पिया मिलन की

देखो बुला रही प्रियतम  शीतल ये हवाएं



रेखा जोशी 



 


Tuesday, 1 March 2022

नारी उत्थान

नारी उत्थान (महिला दिवस पर विशेष) 

एक सवाल आज मै नारी तुम से ही पूछती हूँ ,"बता कैसे होगा तेरा उत्थान" ,बलात्कार हो या यौन शोषण,अपने तन ,मन और आत्मा की पीड़ा को अपने अंदर समेटे सारी जिंदगी अपमानित सी घुट घुट कर कब तक जीती रहोगी ,मत कर इंतज़ार राम का ,आज कोई राम नही आएगा अहल्या को तारने ,तुम्हे अपने अंदर की दुर्गा को ,चंडी को जगाना होगा,तुम्हे खुद ही आगे आ कर अपना संघर्ष करना होगा ।

जब भी कोई बच्चा चाहे लड़की हो या लड़का इस धरती पर जन्म लेता है तब उनकी माँ को उन्हें जन्म देते समय एक सी पीड़ा होती है ,लेकिन ईश्वर ने जहां औरत को माँ बनने का अधिकार दिया है वहीं पुरुष को शारीरिक बल प्रदान किया ।महिला और पुरुष दोनों ही इस समाज के समान रूप से जरूरी अंग हैं लेकिन हमारे धर्म में तो नारी का स्थान सर्वोतम रखा गया है , नवरात्रे हो या दुर्गा पूजा ,नारी सशक्तिकरण तो हमारे धर्म का आधार है । अर्द्धनारीश्वर की पूजा का अर्थ यही दर्शाता है कि ईश्वर भी नारी के बिना आधा है ,अधूरा है। । इस पुरुष प्रधान समाज में भी आज की नारी अपनी एक अलग पहचान बनाने में संघर्षरत है । जहाँ बेबस ,बेचारी अबला नारी आज सबला बन हर क्षेत्र में पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिला कर चल रही है वहीं अपने ही परिवार में उसे आज भी यथा योग्य स्थान नहीं मिल पाया ,कभी माँ बन कभी बेटी तो कभी पत्नी या बहन हर रिश्ते को बखूबी निभाते हुए भी वह आज भी वही बेबस बेचारी अबला नारी ही है । शिव और शक्ति के स्वरूप पति पत्नी सृष्टि का सृजन करते है फिर नारी को क्यों मजबूर और असहाय समझा जाता है ।

अब समय आ गया है सदियों से चली आ रही मानसिकता को बदलने का और सही मायने में नारी को शोषण से मुक्त कर उसे पूरा सम्मान और समानता का अधिकार दिलाने का ,ऐसा कौन सा क्षेत्र है जहां नारी पुरुष से पीछे रही हो एक अच्छी गृहिणी का कर्तव्य निभाते हुए वह पुरुष के समान आज दुनिया के हर क्षेत्र में ऊँचाइयों को छू रही है ,क्या वह पुरुष के समान सम्मान की हकदार नही है ?तब क्यूँ उसे समाज में दूसरा दर्जा दिया जाता है ?केवल इसलिए कि पुरुष अपने शरीरिक बल के कारण बलशाली हो गया और नारी निर्बल ,नही नारी तुम निर्बल नही हो,तुम असीम शक्ति का भण्डार हो ,तुम्हे खुद को पहचानना है ,अपमें अंदर के आत्मविश्वास को जगाना होगा ,खुद का सम्मान करना होगा ,तुम्हारे उत्थान के रास्ते खुद ब खुद निकल आयेंगे ।

रेखा जोशी