नारी तो केवल है श्रद्धा
प्रेरणा है पुरुष की
अधूरे है दोनों इक दूजे के बिना
फिर भी होती समाज में नारी ही सदा
अपमानित पड़ताड़ित और तिरस्कृत
माँ बेटी बहन, बन पत्नी सदा
संवारती जीवन पुरूष का
न जाने क्यों टकराता
अहम उसका नारी से
समझ पाता काश यह पुरुषों का समाज
नारी तो केवल है श्रद्धा
और मूरत त्याग की
निछावर कर देतीअपना सारा जीवन
अपने परिवार पर
रेखा जोशी
बहुत ही सुंदर रचना
ReplyDeleteशुक्रिया आपका
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