आधार छन्द - मंगलमाया(11,11 पर यति)
समांत अन ,अपदांत
भज ओम नाम बन्दे, शान्त करे ये मन
ध्वनि गूंजती जब, भये कम्पित तब तन
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वेदों की ऋचाएं, ओम सत्य स्वरूप
महिमाओम की है, सदा परम सनातन
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ओ उ म में समाया, सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड
कर ले गूंगा भी , ओम नाम उच्चारण
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जपे जो ओम नाम, हुआ उसका कल्याण
ओम रूप साकार,, ओम ही है निर्गुण
ओम नाम काट दे, ,जग में सब के पाप
कण कण में गूंजे, ओम नाम की गुंजन
रेखा जोशी
सुंदर
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