महकने लगी वसुधा
खिले जो पुष्प हरसिंगार के
सुगंधित शीतल चाँदनी में.
लिपटी धरा सफेद केसरिया
फूलों की चादर से
बिखरे हैं धरा पर ज्यों
अश्रु तुम्हारे प्यार के
पलता आंसुओ में प्रेम तेरा
बहते रहे रात भर.जो
प्रियतम अपने की याद में
झरते रहते भोर तक
यह पुष्प पारिजात के
रेखा जोशी
बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteसादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार २८ नवम्बर २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
वाह...बहुत बड़िया
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