Tuesday, 25 June 2024

बिखरा संगीत प्रकृति के कण कण में

है बिखरा संगीत प्रकृति के कण कण में
गूंज रही ध्वनि ओम की 
ब्रह्माण्ड के सुर ताल में 
 
करती शांत मन सबका 
झरने की सुरीली ताल 
नवयौवना की मस्त चाल सी 
लहराती बलखाती गुनगुनाती 
अठखेलियां लुभाती नदी की 
टिप टिप बरसता अंबर से पानी 
झूम झूम जाता है मनुआ 
नाचे मोर वन उपवन में 
चहके पंछी कोयलिया कुहूके
गुनगुन भंवरे गुनगुनाते 
है बिखरा संगीत प्रकृति के कण कण में
गूंज रही ध्वनि ओम की 
ब्रह्माण्ड के सुर ताल में 

रेखा जोशी 





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