Monday 4 November 2024

चिंतन मनन जरुरी है...,


 चिंतन मनन जरुरी है...,

लक्ष्य प्राप्ति के लिए 
शांत मन से चिंतन मनन जरुरी है

मनन कर मन हमारा बन जाता दोस्त
दृढ विचार दृढ मन दृढ संकल्प 
है पथ प्रकाशित करते 
सफलता की मंजिल का 
लक्ष्य प्राप्ति के लिए 
शांत मन से चिंतन मनन जरुरी है

चिंता मत करना रे भैया 
चिंता तो चिता सामान है 
रोगग्रस्त कर देगी तुम्हें जीवन भर 
मन से चिंतन मनन कर  देख 
जीवन सफल हो जायेगा 
लक्ष्य प्राप्ति के लिए 
शांत मन से चिंतन मनन जरुरी है

रेखा जोशी 


Wednesday 25 September 2024

कर लो प्रभुवर का ध्यान

भजन 

है शीश झुकाये रघुवर हम, हो रखते हमारा मान 
हाथ जोड़कर अपने तुम,कर लो प्रभुवर का ध्यान 

अंधेरा था जीवन मेरा ,आस की जोत जगाई 
जब जब तुझे पुकारा मैंने , दौड़े आए रघुराई
कृपा करे भगवन सदा ही, कल्याण करते भगवान 
हाथ जोड़कर अपने तुम,कर लो प्रभुवर का ध्यान 
..
जो माँगा वो पाया तुमसे,है भर दी खाली झोली
बिन मांगे भी पाया तुमसे, हमारे राम हमजोली 
तुम बिन कोई नहीं सहारा, हैं गाएं सभी गुणगान 
हाथ जोड़कर अपने तुम,कर लो प्रभुवर का ध्यान 
है शीश झुकाये रघुवर हम,हो रखते हमारा मान 
हाथ जोड़कर अपने तुम,कर लो प्रभुवर का ध्यान 

रेखा जोशी

Thursday 29 August 2024

अभिमान नहीं स्वाभिमान है मेरा


छंदमुक्त रचना 

बहुत प्यार है देश अपने से 
मान नहीं ईमान है मेरा 
बसती भारत में अपनी जान है 
अभिमान नहीं स्वाभिमान है मेरा 
..
सदियों पुरानी संस्कृति हमारी 
ऋषि मुनियों की पावन भूमि 
भरा ज्ञान का यहाँ भंडार है 
बसती भारत में अपनी जान है 
अभिमान नहीं स्वाभिमान है मेरा 
..
राम कृष्ण की धरती हमारी 
गुरुओं की गूंजे अमृतबानी 
देश धर्म की खातिर 
कटा शीश रखा देश का मान है
बसती भारत में अपनी जान है 
अभिमान नहीं स्वाभिमान है मेरा 

रेखा जोशी 





Thursday 25 July 2024

मैं चलता ही गया

करता रहा सामना
मुश्किलों का
जिंदगी के सफर में
और
मैं चलता ही गया

रुका नहीं, झुका नहीं
ऊँचे पर्वत गहरी खाई
मैं लांघता गया
और
मैं चलता ही गया

कभी राह में मिली खुशी
मिला गले उसके
कभी दुखों का टूटा पहाड़
रोया बहुत पर
खुद को संभालता गया
और
मैं चलता ही गया

जीवन के सफर में
कई साथी मिले चल रहे हैं साथ कुछ
यादें अपनी देकर कुछ छोड़ चले गए
और
बंधनों से घिरा
मैं चलता ही गया

चलता ही जा रहा हूँ
और
चलता ही रहूँगा
जीवन के सफर में
अंतिम पड़ाव आने तक
अंतिम पड़ाव आने तक

रेखा जोशी

Wednesday 10 July 2024

221 2122 , 221 2122


.मापनी - 221 2122 , 221 2122
तुम  दूर जा रहे हो  , मत फिर हमे बुलाना 
अब प्यार में सजन यह ,फिर बन गया फ़साना 
...  
शिकवा नहीं  करेंगे ,कोई नहीं  शिकायत 
जी कर क्या करें अब ,दुश्मन हुआ ज़माना 
.... 
तुम  खुश रहो सजन अब ,चाहा सदा यही है 
मत भूलना हमें तुम ,वादा पिया निभाना 
.. 
किस बात की सज़ा दी ,क्यों प्यार ने दिया गम 
कोई हमें बता  दे , क्यों फिर जिया जलाना 
... 
तुम ज़िंदगी हमारी ,हम जानते सजन  ये 
फिर भी न  प्यार पाया ,झूठा किया बहाना 

रेखा जोशी 

Wednesday 3 July 2024

वीराने से रास्ते

प्राकृतिक पहाड़ों के 
आँचल में खूबसूरत हरी भरी 
सुनसान घाटीयां
शहर के शोर ओ गुल से दूर
है कर देती हैं तर ओ ताज़ा
दिल और दिमाग़ को 
सादगी और सकून भरे 
उन वीरान से रास्तों की चुप्पी से 
लगता है अनजाना सा भय भी 
दिल के किसी कोने में 
इतने शांत और निर्मल वातावरण में भी 
कभी कभी दूर बैठे कौवे की 
कांव कांव भी 
डरा जाती है भीतर तक
लेकिन फिर भी वीरान से रास्तों पर 
चलना अच्छा लगता है 

रेखा जोशी 

 

आंखे मिलाने से

जब आंखो ही आंखो से होती है बात 
तब धड़कने लगता है दिल बेचारा 
नासमझ पगला यूँही दीवाना हो जाता है 
आंखे मिलाने से 

है आंखो ही आंखो में जब होते इशारे 
नहीं रह पाता दिल बस में हमारे 
बेबस हो जाता यह दिल बेचारा
चाहने लगता प्रियतम का सहारा 
इक हूक इक कसक उठती है सीने में 
ख्वाब हजारों लगते हैं सजने 
है जग जाती आस मिलन की
दिल दीवाने को 
नासमझ पगला यूँही दीवाना हो जाता है 
आंखे मिलाने से 

रेखा जोशी