Friday 6 February 2015

गूँजे सदा तेरी इन नीरव घाटियों में

ढूँढ  रहे  प्रभु  तुम्हे इन  हसीन  वादियों में 
आती  नजर  छटा   तेरी  पत्ते   बूटियों में 
है कण कण में ओम देखा मन की नजर से 
गूँजे   सदा   तेरी  इन  नीरव  घाटियों  में 

रेखा जोशी 

No comments:

Post a Comment