Saturday 7 February 2015

आप को अपना बनाने की तमन्ना की है

आप को  अपना बनाने की तमन्ना की है
आज तो  हद से गुज़रने  की तमन्ना की है
...
खिल गई बगिया बहारें जो चमन में आई
गुल खिलें  दिल ने महकने की तमन्ना की है

दिल हमारे की यहाँ धड़कन लगी है बढ़ने
क्या करें दिल ने मचलने की तमन्ना की है

देखते ही आपको यह क्या हुआ साजन अब
खुद इधर दिल ने बहकने की तमन्ना की है

लो शर्म से अब सनम आँखे झुका ली हमने
नैन में अपने बसाने की तमन्ना की है

रेखा जोशी 

No comments:

Post a Comment