Sunday, 27 January 2013

रहे सदा निरोग आपका परिवार


वास्तु टिप्स
१ घर के अंदर पोछा लगाते समय पानी में थोड़ा नमक चाहे समुद्री हो या सेंधा अवश्य मिला देना चाहिए |
२घर के अंदर  किसी बीम के नीचे न तो बैठे और न ही सोये |
३ सोते समय सिर सदा दक्षिण और पाँव उत्तर दिशा में होने चाहिए |
४ घर के मुख्य गेट  के सामने कूड़ा जमा करने का स्थान या  बिजली का खम्बा नही होना चाहिए |
५ घर में ऐसी पेंटिंग न लगायें जिससे अशांति  या पीड़ा का बोध हो ,बल्कि ऐसे चित्र लगायें जिसे देख आपका और आपके परिवार का मन प्रफुल्लित रहे |
६ घर में टायलेट दक्षिण या पश्चिम दिशा में होना चाहिए ,किसी बर्तन में नमक वाला पानी टायलेट में रखने से बीमारियाँ दूर होती है |

रेखा जोशी

जल उठी मशाल

दामिनी की तड़प से आज पूरा भारतवर्ष तड़प उठा है ,भले ही वह जिंदगी की जंग हार गई और  इस दुनिया से सदा सदा के लिए चली गई ,लेकिन वह  पूरे हिन्दुस्तान के घर घर में एक ऐसी मशाल जला गई , जिस की आंच ने  दिल्ली की सड़कों पर बिना किसी  नेतृत्व के देश के युवा वर्ग को संगठित कर दिया,कैंडल मार्च ,शांति मार्च करते हुए भारत के युवा को पुलिस दुवारा छोड़े गए आंसू गैस के गोले ,पानी की बौछाड़े और लाठीचार्ज भी नही रोक पाए ,सब एक ही  सुर में दामिनी के लिए इन्साफ की मांग की दुहाई दे रहे है ,जन्तर मंतर पर आज भी भूख हड़ताल रख रहे कई नवयुवक ,नवयुवतियां बैठे सरकार के फैसले का इंतज़ार कर रहे है ,अपराधियों के लिए फांसी हो याँ उन्हें नपुंसक बनाने की मांग ,जो भी सजा उन्हें मिले उसका निर्णय शीघ्र होना चाहिए ,फास्ट ट्रेक कोर्ट होने चाहिए जो ऐसे जघन्य ,विभीत्स अपराधों पर तुरंत  निर्णय ले सके |१६ दिसम्बर को हुई  इस शर्मनाक घटना के बारे में   खुल कर आलोचना कर रहे युवा वर्ग  आज दामिनी की आत्मा की शांति के लिए भारत सरकार से यह उम्मीद कर रहें  है कि महिलायों पर हो रहे इस प्रकार के अपराध पर तुरंत कार्यवाही करें और दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा मिले ताकि आगे से इस तरह के अपराधों पर अंकुश लग सके |आये दिन हमारे देश की अबोध बच्चियों ,महिलायों के साथ होते बलात्कार के आंकड़े दिन प्रतिदिन बढ़ने से लोगों में भीतर ही भीतर पनपते आक्रोश में दामिनी की तड़प से उबाल आ गया है और आज केवल दिल्ली से ही नही बल्कि दूर दूर से आ रहे युवा ,इण्डिया गेट,राज पथ और राष्ट्रपति भवन के सामने अपनी भावनाओं का प्रदर्शन कर सम्पूर्ण नारी जाति की सुरक्षा की मांग कर रहें है |बिना किसी नेता के इतना बड़ा जनसमूह अपना विद्रोह प्रदर्शन करने आज सरकार के सामने  उतर कर  आया है जिसने सरकार और पुलिस की नींदे हराम कर रखी है |आज भारत का हर घर दामिनी के साथ हुए गैंगरेप से भावनात्मक तौर से इस तरह जुड़ चुका है जैसे उनके अपने घर में ही यह खौफनाक  हादसा हुआ हो ,हर घर की बहू बेटी आज अपने ही इस देश में अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रही है क्योंकि इस तरह के अपराध करने के बाद भी अपराधी खुले आम  सडकों पर घूमता रहता है ,हैरानी की बात है कि सज़ा का व्यवधान होते हुए भी अपराधी कानून की ग्रिफ़्त से न जाने कैसे बच निकलते है |कितनी ही लडकियां बलात्कार जैसे शर्मनाक  हादसे के बाद  मौत को गले लगा लेती है ,उनके अपने माँ बाप भी उन्हें अपनाने से इनकार कर देते है ,तन मन और आत्मा तक से पीड़ित लड़की इस विक्षिप्त मानसिकता वाले समाज में बिलकुल अकेली और असहाय सी घुट घुट कर जिंदगी जीने के लिए मजबूर हो जाती है ,क्या यही नारी सशक्तिकरण है ? यहाँ तक कि कभी कभी तो रक्षक ही भक्षक बन जाते है |कई बार अख़बारों की  सुर्ख़ियों में अक्सर बाप द्वारा अपनी ही बच्ची के साथ बलात्कार ,भाईओं दवारा अपनी ही बहनों का शोषण ,पति अपनी अर्धांगिनी की दलाली खाने के समाचार छपते रहते है  और उनके कुकर्म का पर्दाफाश न हो सके इसके लिए बेचारी नारी को यातनाये दे कर,ब्लैकमेल कर के उसे अक्सर दवाब में जीने पर मजबूर कर दिया जाता है |अपने ही परिवार से  जन्मी असुरक्षा का बोझ ले कर जब नारी घर से बाहर कदम रखती है तो उसके आस पास छुपे  भेडियो और गिद्धों का कब शिकार बन जाये ,वह स्वयं नहीं जान पाती ,और तो और कई महिलाये भी इस घृणित कार्य में संलग्न है |पाश्चात्य सभ्यता का अंधाधुन्द अनुसरण भी एक कारण है ,नारी के असुरक्षित होने का,उनका पहनावा ,स्वछंद सोच ,और जैसा की आजकल का चलन होता जा रहा है ,लिव इन रिलेश्न्शिप्ज़ का , जो की अपराध को खुलेआम चुनौती दे रहे है |हमारे  परिवार अगर  अपनी बेटी में बेटों सा आत्मविश्वास पैदा कर सकें ,उन्हें मार्शल आर्ट्ज़ की ट्रेनिग प्रदान करें ताकि  कुछ हद तक वह अपनी सुरक्षा  ऐसे अपराधिक मानसिकताओं वाले जंगलियों से कर सकें |बलात्कार जैसी घिनौनी घटनायों पर अंकुश लगाना अत्यंत ही कठिन है ,माँ बाप दोनों ही इस भागती दौड़ती जिंदगी का एक हिस्सा बन चुके है ,बच्चों में संस्कारों की कमी लगातार बढती जा  रही है ,रही सही कमी टी वी और इंटरनेट पूरी कर रहें है ,हर विज्ञापन में औरत के ऐसे रूप को दर्शाया जाता है जिसे देख कर खुद नारी को भी शर्म आ जाए |यह सब देख कर बहुत ही दुःख होता है ,लेकिन आज दामिनी जो मशाल जला गई है वह कुछ न कुछ रंग तो जरूर ले कर आये गी ,सरकार को नारी सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने होंगे और वही हम सब भारतवासियों की दामिनी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी  |

रहे माँ लक्ष्मी का वास सदा आपके घर में


वास्तु टिप्स
१इस बात का सदा ध्यान रखें कि आपके घर के किसी भी नल से पानी बहना याँ  टपकना नही चाहिए वह इसलिए कि पानी का बहने  याँ टपकने से आपकी जेब हल्की हो  सकती है ,अपने घर के सभी नल ठीक करवा ले |
२ अगर आपका व्यवसाय होटल याँ भोजन ,भोजन सामग्री के साथ जुड़ा हुआ है तो वहां का प्रवेश दुवार का मुख दक्षिण दिशा में होना चाहिए |
३ अगर आपका व्यवसाय मनोरंजन याँ खेलकूद से जुड़ा हुआ है तो वहां के मुख्य प्रवेश दुवार का मुख पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए
४ अन्य व्यवसायों के लिए प्रवेश दुवार का मुख उत्तर दिशा में शुभ माना जाता है |
५ अपने घर का कीमती समान ओर तिन्जोरी ऐसी अलमारी में रखे जो सदा पश्चिम याँ दक्षिण की दीवार की तरफ लगी होनी चाहिए ताकि उसके दरवाज़े खुले वह पूर्व याँ उत्तर दिशा की तरफ खुले |

Saturday, 26 January 2013

आवाज़ दो हम एक है

''दिशा जागो तुमने आज कालेज जाना है न ''जागृति  ने अपनी प्यारी बेटी को सुबह सुबह जगाते हुए कहा |दिशा ने नींद में ही  आँखे मलते हुए कहा ,''हाँ माँ  , हमे अपने कालेज के समारोह में जाना है और इस राष्टीय पर्व को मनाने के लिए हमने बहुत बढ़िया कार्यक्रम  भी तैयार किया हुआ है ,''जल्दी से दिशा  ने अपना बिस्तर छोड़ा और कालेज जाने की तैयारी में जुट गई| दिशा को कालेज भेज कर जागृति भी अपने गृहकार्य में व्यस्त हो गई | जब तक जागृति ने अपना कार्य निपटाया, दिशा घर आ गई ,उत्साह और जोश से भरी हुई दिशा ने आते ही माँ को अपनी बाहों भर लिया ,''वाह माँ आज तो मजा ही आ गया ,देश भक्ति के जोशीले गीतों ने क्या समां बाँध दिया , माँ क्या अनुभूति हो रही थी उस समय ,जब कालेज के सभी विधार्थियों से खचाखच भरा हुआ पूरा का पूरा हाल राष्ट्र प्रेम से ओत प्रोत था, हमारे प्रिंसिपल ,सब टीचर और सारे विधार्थी एक ही सुर में गा रहे थे ,''आवाज़ दो हम एक है ,हम एक है ,''ऐसा लग रहा था मानो पूरा हिंदुस्तान एक ही सुर में गा रहा हो ,हम एक है ,हम एक है और माँ वह नाटक ,जो मैने और मेरी सहेलियों ने मिल कर तैयार किया था ,''आजादी के मतवाले ''एकदम हिट रहा ,क्या एक्टिंग की थी हम सबने, स्वतन्त्रता संग्राम की पहली लड़ाई में ,वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई ने कैसे अपने छोटे से बच्चे को पीठ पर बाँध कर अंग्रेजों के छक्के छुड़ा  दिए थे  ,क्या जोशीले संवाद थे सुभाषचन्द्र बोस के ,''तुम मुझे खून दो मै तुम्हे  आज़ादी दूंगा ,''आज़ादी के दीवाने भगत सिंह ,सुखदेव और राजगुरु ने हँसते हँसते फांसी को गले लगा लिया था |दिशा का देश प्रेम के प्रति उत्साह देख कर जागृति का रोम रोम खिल उठा ,कितना जोश और उत्साह भरा हुआ है आज के युवा में ,इस देश की संगठित युवा शक्ति ही भारत का नव निर्माण कर सकती है |आज हमारा देश अनगिनत समस्याओं से घिरा हुआ है ,एक ओर तो भटका हुआ युवा  रेव पार्टीज़ ,पब,नशीले पदार्थो का सेवन कर दिशाविहीन हो अंधाधुंध पाश्चात्य सभ्यता का अनुसरण कर रहा है तो दूसरी तरफ बेरोज़गारी ,महंगाई से झूझते कई परिवार दो समय की रोटी के लिए संघर्षरत है ,भ्रष्टाचार रूपी  राक्षस हरेक की जिंदगी को निगल रहा है ,अपनी संस्कृति और संस्कारों को भूल कर हर इंसान पैसे के पीछे भाग रहा है ,चाहे कैसे भी मिले बस हाथ में पैसा आना चाहिए ओर ईमानदार इंसान को आज बेफकूफ समझा जाने लगा है,आतंकवाद की तलवार सदा हमारे सिर पर मंडराती रहती है ,किसान आत्महत्या कर रहे है ,बहू बेटियों की अस्मिता असुरक्षित है ,आसाम सुलग रहा है,अपने ही देश में  लोग परायों सी जिंदगी जीने पर मजबूर है ,अनेक घोटालों में  घिरी यह भ्रष्ट सरकार क्या जनता को सुरक्षा प्रदान कर पाए गी ? आज़ादी के मतवालों ने अपने प्राणों की आहुति दे कर हमे सदियों से चली आ रही  गुलामी की जंजीरों से तो मुक्त करवा दिया,लेकिन क्या हमने उनकी कुर्बानी के साथ न्याय किया है ?हमारे देश का भविष्य आज भारत  युवा शक्ति पर निर्भर है लेकिन उन्हें आज जरूरत है एक सशक्त मार्गदर्शक की , जो उन्हें सही दिशा दिखला सके , भारत माता के प्रति उनके प्रेम को जोश और जनून में बदल कर उन्हें राष्ट्र के लिए जीना और राष्ट्र के लिए मरना सिखा सके ,अखंड भारत का स्वरूप दिखा कर उन्हें एकजुट कर सके ,तभी देशभक्ति का वह सुंदर गीत सार्थक हो सकेगा ,''आवाज़  दो हम एक है |''

Tuesday, 22 January 2013

रहे खुशहाल आशियाना आपका


वास्तु टिप्स   [रहे खुशहाल आशियाना आपका ]
आशियाना बनाने के लिए भूमि  की जरूरत होती है ,इसलिए घर का निर्माण करने से पहले निम्नलिखित बातों  पर ध्यान देना चाहिए ,
१ वास्तु के अनुसार गृहनिर्माण के लिए सर्वोत्तम  भूमि वर्गाकार होती है ,आयताकार भी उत्तम भूमि मानी जाती है |
२ गृहनिर्माण करते समय दिशायों का उचित ध्यान रखना चाहिए ,वह इसलिए कि घर में धूप ,हवा और प्रकाश  का सही ढंग से आवागमन हो सके |
३ घर के पूर्व में खुली जगह छोडनी चाहिए |
४पूजास्थल सदा ईशान कोण में होना चाहिए |
५ घर के आसपास मंदिर यां कोई अन्य पूजास्थल नही होना चाहिए |

Monday, 21 January 2013

अपने घर परिवार की सेहत के लिए आपका किचेन

आपके परिवार की सेहत के लिए किचेन
वास्तु टिप्स
१ वास्तु के  अनुसार किचेन सदा आग्नेय कोण यानिकि दक्षिण पूर्व दिशा में यां पूर्व दिशा में होना चाहिए |
२ भोजन बनाते समय हमारा मुहं पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए |
३खाद्य पदार्थ सदा ईशान कोण और आग्नेय कोण के बीच में दीवार के सहारे रखने चाहिए |
४ स्वच्छ पानी के लिए छोटा सी टैंकी ईशान कोण में होनी चाहिए |
५ किचेन में जल निकास के लिए नालियां दक्षिण और पश्चिम की तरफ होनी चाहिए।
६ किचेन में  स्वचछता का सदा ध्यान रखना चाहिए । 

Sunday, 20 January 2013

महकता रहे आपका घर आंगन


वास्तु टिप्स [महकता रहे आपका घर आंगन ]
घर की सुख शांति के लिए वास्तु का बखूबी योगदान है  |आप अपने घर की बगिया को वास्तु के अनुसार सजा सकते है
१ अगर आप के  घर का गार्डन याँ बालकोनी पूर्व की तरफ है तो गार्डन में पीले रंग के पौधे और हरे रंग के पत्तों वाले सजावटी पौधे लगाये
२ .अगर आप के  घर का गार्डन याँ बालकोनी पश्चिम की तरफ है तो वहां सफेद रंग के फूल लगाए
३   अगर आप के  घर का गार्डन याँ बालकोनी उत्तर की तरफ है तो गार्डन में गहरे नीले रंग  के पौधे और हरे रंग के पत्तों वाले सजावटी पौधे लगाये
४ अगर आप के घर का गार्डन याँ बालकोनी दक्षिण की तरफ है तो लाल ,गुलाबी गुलाबों की खुश्बू  आपके घर  आंगन को महका कर रखे गी

Thursday, 17 January 2013

जिन खोजा तिन पाया


मंदिर से निकलते ही पास वाले पार्क में लोगों की भीड़ देखी तो वहीँ रुक गई ,उत्सुकता वश मै भी भीड़ का एक हिस्सा बन कर वहां खड़ी हो गयी ,तभी चमत्कारी बाबा की जय ,चमत्कारी बाबा की जय के नारे हवा में गूंजने लगे | भगवा चोला पहने , आधा चेहरा दाढ़ी में छुपाये एक आदमी तरह तरह के जादुई करिश्में कर के लोगों को दिखा रहा था |कभी अपने हाथों में फूल ले आता तो कभी तलवार निकाल लाता,कभी उसके मुहं पर खून सा लाल रंग आ जाता तो कभी उसके हाथ लाल हो जाते| लोग अभी भी उसकी  जय जयकार कर रहे थे ,भीड़ में से कुछ लोग निकल कर उस पाखंडी बाबा के पैर छू रहे थे |मै सोचने पर मजबूर हो गयी ,कैसे एक आदमी,हाथों की सफाई से और छोटे मोटे वैज्ञानिक प्रयोगों दुवारा भोले भालेलोगों को बेवकूफ बना रहा है |तभी शुरू हो गया समस्याए सुलझाने का सिलसिला |.भीड़ में से एक औरत उठी ,बाबा के पैर छू कर अपने बेटे के केरियर के बारे में पूछने लगी |बाबा तो जैसे अन्तर्यामी हो झटपट कई उपाय बता दिए ,उसके बाद तो प्रश्नों की झड़ी सी लग गई जिसका समाधान बाबा ने चुटकियों में कर दिया |बस बहुतहो गया था ,अब एक क्षण भी रुकना मेरे लिए नागवार था ,यह पाखंडी बाबा कैसे लोगों को मूर्ख पे मूर्ख बनाये जा रहा है ,और क्यों यह लोग आँखे मूंदे उस की बातों पर विशवास किये जा रहें है |इस धरती पर कैसे कैसे लोग रहते है ?मै भीड़ से निकल कर बाहर को आ गई और घर की तरफ चल पड़ी ,रास्ते में सोचने लगी ,इतना विशाल और विराट ब्रहम्मांड ,उसमें  हमारी यह धरती और उसपर रहने वाले हम सब  प्राणी ,इस पूरी सृष्टि में हमारी हस्ती ही क्या है ? भानुदेव से बंधी , अपनी अपनी कक्षाओं में बाकी ग्रहों सहित यह धरा सदियों से परिक्रमा करती आ रही है और आगे भी करती रहे गी| चाँद पर कदम रखने के बाद ,दुनिया भर के वैज्ञानिक सितारों से आगे विस्तृत अन्तरिक्ष के विभिन्न पिंडों  की खोज में लगे हुए  है और इस धरती पर भारतवासी अन्धविश्वासो में घिरे हुए है अचानक लाउडस्पीकर की ऊँची आवाज़ मेरे कानो में पड़ी ,देखा तो सड़क के किनारे एक पंडाल के बाहर कुछ लोग खड़े थे और पंडाल के अंदर कोई भजन गा रहा था ,''मुझमें राम तुझमें राम सबमें राम समाया ''भजन खत्म होते ही ,किसी आदमी की आवाज़ कानों में पड़ी ,''स्वामी जी जब सब के अंदर एक ही ईश्वर का अंश है तो कोई चोर ,डाकू तो कोई अमीर या गरीब क्यों होता है?मेरे कान चौकन्ने हो कर उन की बाते सुनने लगे,''बेटा ,यह सब कर्मों का खेल है ,हमारे अंदर की आवाज़  हमे बताती है ,सही और गलत के बारे में ,उसे सुना अनसुना करके हम जैसा कर्म करते है वही हमारी पहचान बन जाती है |''एक ठहरी हुई आवाज़ मेरे कानो में आई,''अगर हम कोई अच्छा कर्म करते है ,तो हमे अंदर से और अच्छा कर्म करने की प्रेरणा मिलती है उसी ऊर्जा से हम कुछ और बदिया कर्म करना चाहें गे |''यह सुनते ही मेरी बुधि के बंद दरवाज़े खुलने लगे ,पदार्थ का सूक्ष्मतर कण जिसे इलेक्ट्रोन कहते है  जिसे बाँधा हुआ है अणु की नाभि ने ,वो अपनी कक्षा में नाभि के  चारों ओर परिक्रमा करता रहता है| बाहर से उर्जा मिलने पर वह  अपनी कक्षा छोड़ उपर की कक्षा में चला जाता है ,अधिक उर्जा मिलने पर वह एक एक कर के सारी कक्षाए पार करता हुआ मुक्त हो जाता है ,ठीक वैसे ही जब हम कोई अच्छा कर्म करते है ,हमे उर्जा मिलती है कुछ और अच्छा कर्म करने की और हम भी एक एक कर के विभिन्न कक्षाओं को पार करते हुए अंत में बंधन मुक्त हो जाते है| गीता में भी श्री कृष्ण ने हमे कर्म का ही सन्देश दिया है | गीता के इस श्लोक को याद करते हुए मै अपने घर पहुंच चुकी थी   |     ''कर्मण्येवाधिकारस्ते  मा फलेषु  कदाचन |मा कर्मफलहेतुभुर्मा  ते संड्गो-स्त्वकर्मणि ||''
       

Tuesday, 15 January 2013

बड़े मियां दीवाने

पिछले मास बाऊ जी ने सत्तर वर्ष पूरे कर लिए ,पूरे दस वर्ष  हो गये रिटायर्ड हुए लेकिन अफसर शाही का भूत अभी तक सर से नहीं उतरा \साठ वर्ष तक तो अपने पूरे स्टाफ को हमेशा एड़ियों के बल पर खड़े रखा ,और कान सदा 'येस सर ,येस सर 'सुनने के आदी हो चुके थे \बहुत मुश्किल हो गयी रिटायर्ड होने पर \अब किस पर अपना हुकुम चलायें ,पावर का नशा तो सर चढ़ कर बोलता है ,भला वो घर में चुप कैसे बैठ सकते थे \अपने आठ साल के पोते को  बाहर बरामदे में खेलते देख बाऊ जी की गरजती हुई आवाज़ ने पूरे घर की शांति को भंग कर दिया ,''बदमाश कहीं का सारा दिन बस खेलना ,छोड़ गेंद इधर आ ,मेरे पास ,मे तुम्हे पढाऊँ गा\जल्दी से आओ,गधा कहीं का जब देखो खेलने में लगे रहते हो ,तुमने स्कूल का काम पूरा किया है या नहीं \दादा की रोबीली आवाज़ से डर कर उनका पोता झट से अपनी माँ के आँचल में छुप गया \वो छोटा बच्चा ही क्यों ,घर के सब सदस्य बाऊ जी को देख ऐसे कांपते थे मानो किसी आतंकवादी को देख लिया हो \उनकी रोबीली आवाज़ तो घर की चारदीवारी को भी चीरती हुई अड़ोसी पड़ोसियों के दिलों की धडकने भी तेज़ कर देती है \बाऊ जी की डांट फटकार सुन कर उनकी बड़ी बहू कमरे से ही बोली 'बाऊ जी यह इसका खेलने का समय है '\बहू के यह शब्द सुनते ही बाऊ जी का गुस्सा मानो सातवे आसमान को छूने लगा \वह पोते को छोड़ बहू को बुरा भला कहने लगे 'यह माएँ ही बच्चो को बिगाडती है ,ये नहीं समझती कि लड़कों को जीता खीँच कर रखो उतना ही अच्छा,मुझे क्या बड़े हो कर जब उनको परेशान करें गे तब इन्हें समझ आये गी \ तभी बाऊ जी का छोटा बेटा कालेज से घर आ गया ,उसे देखते ही बाऊ जी का गुस्से का रुख उसकी ओर हो गया ,और आ गई उसकी शामत ,वह जोर से दहाड़ते हुए उस पर बरसने लगे ,'नालायक आदमी तुम्हे कुछ भी याद नहीं रहता है \उनका बेटा हतप्रभ सा बाऊ जी के मुहं कि तरफ देखने लगा और धीरे से बुदबुदाने लगा\ तभी कडकती हुई आवाज़ आई ,'बदतमीज़ ,मेरे से जुबान लडाता है तुम्हे कहा था ना कि मेरा कम्प्यूटर सही करना है ,लकिन नही ,हरामखोर ,मुफ्त कि रोटियां तोड़ते हो और ऊपर से बाप को गालियाँ देते हो '\ 'मैने आपको कब गाली दी 'अंदर ही अंदर बेटा तिलमिला उठा \ आवाज़ ऊँची करते हुए बाऊ जी चिल्ला पड़े 'हाँ ,हाँ तू दे मुझे गाली ,अभी पुलिस को बुलाता हूँ ,तुझे बालों से खींचते हुए जब ले के जाये गे ,तब तुम्हारी अक्ल ठिकाने आये गी \बस अब तो बेटे का सब्र का प्याला टूट चूका था \वह भी अब झगड़ने के मूड में आ चूका था ,''बुलाओ ,बुलाओ पुलिस को' पूरे जोर शोर से उसने जवाब दिया ,''हमेशा धमकिया देते रहते हो ,अभी बुलाओ पुलिस को ''\ बात बिगड़ते देख बाऊ जी की धर्मपत्नी भी जंग में कूद पड़ी ,''चुप रहो बेटा ,अपने पिता के आगे नहीं बोलते ,वह बड़े है ,कुछ तो लिहाज़ करो ',लेकिन बाऊ जी कब चुप होने वाले थे ,उल्टा अपनी पत्नी पर ही बरस पड़े ,'सब तुम्हारे लाड प्यार का नतीजा है ,जो हमारा घर बर्बाद हो रहा है ,तुमने पूरे घर को तबाह कर के रख दिया है \पत्नी हकी बकी सी अपने पति का मुहं देखने लग गई \ वह आज सोचने पर मजबूर हो गई ,अपने ही बच्चों के पिता क्यों उन्हें अपना दुश्मन बना रहे है \यह तो अपने बच्चों से बहुत प्यार किया करते है फिर इनका व्यवहार ऐसा कैसे हो गया \ शायद यह उनके प्यार की मार है जो घर परिवार के हर सदस्य को रोज़ पडती है \ शायद वह अपने बच्चों में एक सम्पूर्णता देखना चाहते है जो उन्हें दिखाई नहीं देती यां वह पुरुष का अहम है जो उनके हर रिश्ते में आड़े आता है \बाऊ जी की मानसिकता कुछ भी हो ,लेकिन उनका यह व्यवहार उन्हें अपनों से दूर जरूर ले  जा रहा है और वह इसे समझ नहीं पा रहे \ भावावेश में पत्नी का चेहरा आंसुओं से भीग गया \ आखिरकर वह बोल ही पड़ी ,''काश कोई उन्हें समझा पाता,बड़े मियां दीवाने ऐसे न बनो '\

Thursday, 10 January 2013

लालच की आग में झुलसते फूल


माँ बनना हर नारी का सपना और अधिकार भी है, बच्चों की किलकारियों से गूंजता  हुआ घर ,खुशियों से महकता हुआ आंगन ,ऐसे घर की कल्पना हर औरत अपने मन ने संजोये रखती है |क्या गुज़रे गी उस पर अगर उसके सपने और उसके माँ बनने का हक़ ही छिन जाए ,उसकी इच्छाओ पर कोई वज्रपात कर दे?,यही तो हुआ हैमाला के साथ  ,बिहार में ,समस्तीपुर का इलाका और उसके नजदीक एक  छोटा सा गाँव ,जहां  के एक गरीब परिवार की बेटी  माला के पेट में एक दिन अचानक दर्द होने लगा ,उसके माँ बाप उसकी ऐसी हालत देख कर परेशान हो गए और जल्दी से उसे  नजदीक के एक अस्पताल में ले गए |वहां पर डाक्टरों ने भी अपने पेशे के प्रति निष्ठां दिखाते हुए जल्दी से उसे एडमिट कर उसका इलाज शुरू कर दिया,सांस रोके घबराए हुए ,उसके माँ बाप घंटों आपरेशन थिएटर के बाहर अपनी बेटी के लिए तड़पते रहे |बाद में डाक्टर ने उन्हें बताया कि उसके गर्भाशय का आपरेशन हुआ है और उसे निकाल दिया गया है ,उनकी बेटी अब खतरे से बाहर है |उसके माँ बाप हैरान हो गए ,ऐसी क्या बीमारी हो गई थी उनकी कुँवारी बेटी को ,जो उसकी कोख को ही निगल गई ,माला को जब पता चला की वह कभी माँ नही बन पाए गी तब बिस्तर पर ही लेटे हुए उसे अपनी आने वाली काली अँधेरी ज़िन्दगी की तस्वीरें साफ़ साफ़ दिखाई   देने लगी ,कौन करे गा अब  उस अभागिन से शादी ?उसकी आँखों से अविरल आंसूओं की धारा बहने लगी,उसकी सूनी कोख ने उसकी पूरी ज़िन्दगी को ही दागदार कर दिया,उसके साथ साथ उसके माँ बाप भी जवान बेटी के दुःख से दुखी और परेशान हो गए लेकिन अस्पताल में तो डाक्टरों की ही चलती है ,उन  बेचारे ग़रीबों की सुनता ही कौन है?,माला  के माँ बाप अपनी किस्मत को दोष देते हुए चुपचाप उसे घर  लेकर आ गये |कुछ दिनों बाद मालूम हुआ कि उस गाँव के आस पास के बहुत से इलाकों की और भी कई बहू बेटियों के अरमान निकट के कई गांवों के अस्पतालों  की  भेंट चढ़ चुकें है लेकिन वह गरीब लोग समस्तीपुर और उसके आस पास डाक्टरों और बीमा कर्मचारियों बीच हुई करोड़ों रूपये की घिनोनी साज़िश से अनजान अपनी किस्मत को ही कोसते रहे | सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे रह रहे लोगों के लिए राष्ट्रिय स्वास्थ्य बीमा योजना की सुविधा प्रदान की जिसके अंतर्गत गरीबी की रेखा से नीचे रहते हुए लोग अपने स्वास्थ्य के लिए बीमे की राशी के तीस हजार रूपये  तक खर्च कर सकते है ,लेकिन लालची भेड़ियों  ने बेचारी कई फूल सी गरीब औरतों की कोख को अपने लालच की भेंट चढा दिया | अपने शिकार की ताक लगाये यह वहशी भेड़िये  न जाने कब से उन गरीबों की कोखों पर अपने घर रुपयों से भरते रहे,सरकार की आँखे तब खुली जब बीमा के लाखों ,करोड़ों रुपयों के बिल समस्तीपुर और उसके आस पास के अस्तपालों से आने लगे | सरकार ने जांच के आदेश तो ज़ारी कर दिए और जांच चल भी रही है, शायद ऐसे घिनोने अपराध की उन्हें सजा भी मिल जाए लेकिन जो फूल इनके लालच की आग में झुलस चुके है उनका क्या होगा ,क्या कोई  दवा ,कोई मलहम उन्हें फिर से पुष्पित कर पाए गी ?