हाल दिल का सजन अब कहें कम से कम
बात दिल की न दिल में रहे कम से कम
चाँद आया उतर अब गगन में पिया
चांदनी रात में हम मिलें कम से कम
रेखा जोशी
हाल दिल का सजन अब कहें कम से कम
बात दिल की न दिल में रहे कम से कम
चाँद आया उतर अब गगन में पिया
चांदनी रात में हम मिलें कम से कम
रेखा जोशी
परिवर्तनशील
इस जग में
नही कुछ भी यहां स्थिर
पिघल जाता
है लोहा भी इक दिन
चूर चूर हो जाता
पर्वत भी
बहा ले जाता
समय संग अपने
सब कुछ
नहीं टिक पाता
समय के आगे
कुछ भी
रह जाती बस
माटी ही माटी
है शाश्वत सत्य यही
समाया इक तू ही
सृष्टि के कण कण में
छू नही
सकता जिसे
समय भी कभी
रेखा जोशी
जिनके लिए हमने दिल औ जान लुटाई .
मिली सिर्फ उनसे हमको है बेवफाई |
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सजदा किया उसका निकला वो हरजाई ,
मुहब्बत के बदले पायी हमने रुसवाई |
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धडकता है दिले नादां सुनते ही शहनाई,
पर तक़दीर से हमने तो मात ही खाई |
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न भर नयन तू आग तो दिल ने है लगाई ,
धोखा औ फरेब फितरत में, दुहाई है दुहाई,|
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छोड़ गए क्यूँ तन्हां दे कर लम्बी जुदाई,
जी लेंगे बिन तेरे ,काट लेंगे सूनी तन्हाई |
रेखा जोशी
सातवें आसमान से
है आवाज़ आई
चले आओ तुम यहां
बना लो आशियाँ
ख़ुशी की लहर पे
होकर सवार
है चलती कश्तियाँ
मुस्कुराती हर शह यहां
नाचती तितलियाँ
बिखेर कर रंग अपने
हर्षाती ह्रदय को
लुभाते झरने
झर झर बहते पर्वतों की
श्रंखलाओं से नीचे
मधुर तान छेड़ कर
संगीत अलौकिक ने
घोल दिया कानो में
अनुपम स्वर
चले आओ तुम यहां
बना लो आशियाँ
टिमटिमाते सितारे
उतर आये ज़मीं पे
जगमगाने लगा
आँचल भी धरा का
मुस्कुराती वसुधा ने
हर लिये सभी गम
चले आओ तुम यहाँ
बना लो आशियाँ
सुघन्दित पुष्पों से भरी
पुकारे वादियां
चले आओ तुम यहां
बना लो आशियाँ
रेखा जोशी
मुखर
मिलजुल कर रहे सदा आपस में प्यार लिखें
मुखर हो कर हम सब प्यार का इज़हार लिखें
प्रेम से हर पल बीते हर लें पीर सबकी
सँवार लें ज़िंदगी ख़ुशी भरा सँसार लिखें
,,
मौन
हे प्रभु सर पे मेरे सदा तेरा हाथ रहे
हर मुश्किल में हमें मिलता तेरा साथ रहे
हूँ मौन फिर भी सुन लेते तुम पुकार मेरी
भरे सभी की झोली कृपा तेरी नाथ रहे
रेखा जोशी